नई दिल्ली — भर्ती व स्टैफिंग फर्म TeamLease Services की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक़ भारत का नौकरी-बाज़ार वित्त वर्ष 2025-26 के दूसरे छमाही (अक्टूबर 2025-मार्च 2026) में नेट जॉब ग्रोथ 4.4% तक पहुँच सकता है, जो कि पहले छह महीनों (अप्रैल-सितंबर) के 2.8% से बेहतर स्थिति दर्शाता है। यह रिपोर्ट देश के अलग-अलग सेक्टर्स व शहरों में हो रही हायरिंग की प्रवृत्तियों और चुनौतियों का संक्षेप पेश करती है।
सर्वे का दायरा — क्या-कहाँ मापा गया?
TeamLease की Employment Outlook रिपोर्ट पर 1,251 से ज़्यादा नियोक्ताओं का सर्वे लिया गया, जो 23 सेक्टर्स और 20 शहरों का प्रतिनिधित्व करता है। सर्वे जून से अगस्त 2025 के बीच किया गया था और इसमें नियोक्ता अपनी हायरिंग योजनाओं, कौशल-मांग और भर्ती रणनीतियों के बारे में रिपोर्ट कर रहे हैं।
कौन-से सेक्टर्स खींच रहे हैं भर्ती?
रिपोर्ट में जिन सेक्टर्स ने तेज़ ग्रोथ दिखाई है, वे प्रमुख रूप से हैं:
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ई-कॉमर्स और टेक स्टार्ट-अप्स — अनुमानित नेट जॉब-चेंज ~11.3%।
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लॉजिस्टिक्स — ~10.8% का प्रोजेक्टेड काम-वृद्धि।
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रिटेल — ~8.1% वृद्धि अनुमानित।
इनके अलावा ऑटोमोबाइल, FMCG और इलेक्ट्रिक व्हीकल-इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़े क्षेत्र भी स्थिर विस्तार दिखा रहे हैं — इनमें उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI), लोकलाइज़ेशन और घरेलू खपत का योगदान माना जा रहा है।
हायरिंग की प्रकृति बदल रही है — मात्रा से गुणवत्ता की ओर
TeamLease रिपोर्ट बताती है कि नियोक्ता अब वॉल्यूम-हायरिंग से हटकर वैल्यू-हायरिंग की तरफ़ ज्यादा झुक रहे हैं — यानी कंपनियाँ अब ऐसी भर्ती कर रही हैं जिनका प्रत्येक रोल पर प्रतिफल (productivity / value yield) स्पष्ट हो। रिपोर्ट के अनुसार 61% नियोक्ता प्रदर्शन-आधारित (performance-linked) भर्ती पद्धतियाँ एंट्री-लेवल के लिए अपना रहे हैं। यह संकेत है कि कंपनियाँ भविष्य-तैयार (future-ready) टीम बनाने के लिए कौशल-आधारित चयन कर रही हैं।
नियोक्ताओं की योजना: बढ़ोतरी पर भरोसा, पर परिपक्वता भी
रिपोर्ट में कहा गया है कि 56% नियोक्ता अक्टूबर-मार्च अवधि में हेडकाउंट बढ़ाने की योजना में हैं — यह अप्रैल-सितंबर के 47% से ऊपर है। वहीं 27% स्थिरता (no change) रखने और 17% कुछ मुक़ाबले में रेशनलाइज़ेशन (कमी/सिर्फ़ जरूरी भूमिकाएँ) की योजना बता रहे हैं — यानी समग्र माहौल प्रोत्साहक है पर सतर्कता बरती जा रही है।
किन कौशलों की माँग सबसे ज़्यादा?
रिपोर्ट ने शीर्ष-मांग वाले कौशल सूचीबद्ध किए हैं —
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कम्युनिकेशन स्किल्स (89% नियोक्ता मांग)
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बेसिक कंप्यूटर स्किल्स (81%)
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क्रिटिकल थिंकिंग (78%)
ये कौशल-सेट हाइब्रिड व क्रॉस-फंक्शनल टीमों में उत्पादकता बनाए रखने के लिए आवश्यक माने जा रहे हैं — खासकर जब AI और ऑटोमेशन जैसे तकनीकी परिवर्तन कार्य-प्रणालियों को बदल रहे हों।
भौगोलिक फोकस: कहाँ होगी सबसे ज़्यादा हायरिंग?
बेंगलुरु, हैदराबाद और मुंबई को रिपोर्ट में हायरिंग-इंटेंट के अग्रणी शहर बताया गया है — इन शहरों में टेक्नोलॉजी, मैन्युफैक्चरिंग और सर्विसेज की मजबूत उपस्थिति है, जो नई नौकरियों को आकर्षित कर रही है। बड़े उद्यम (large enterprises) अधिकांश हायरिंग-मॉमेंटम पैदा कर रहे हैं, जबकि मध्यम व छोटे व्यवसाय ‘रिटर्न्स-फ़र्स्ट’ दृष्टिकोण अपनाकर सतर्कता बनाए रख रहे हैं।
आर्थिक पृष्ठभूमि — GDP और मांग-सहारा
रिपोर्ट ने यह भी जिक्र किया कि भारत की जीडीपी-वृद्धि अप्रैल-जून तिमाही में पाँच-तिमाही उच्चता पर 7.8% दर्ज की गई — यह व्यापक आर्थिक रिकवरी व ख़पत-आधारित मांग की पुष्टि करता है और हायरिंग में तेज़ी के लिए सकारात्मक संकेत देता है। इसके साथ ही GST और अन्य नीतिगत सुधार भी व्यापार-उद्यमों के विस्तार में मदद कर रहे हैं।
क्या जोखिम और चुनौतियाँ नहीं हैं?
हालाँकि दूसरी छमाही में वृद्धि का अनुमान है, पर वर्ष-पूर्व अवधि (YoY) के आधार पर यह साल-पहले 7.1% के स्तर से नीचे है — यानी तेज़ी है पर पूर्ण रिकवरी की दूरी भी है। चुनौतियाँ हैं: वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता, ऑटो-मेशन से रोल-शिफ्ट, और छोटे व्यवसायों की सीमित पूँजी जो बड़े पैमाने पर हायरिंग रोक सकती है। कंपनियाँ इसलिए अधिकतर कौशल-उन्मुख और प्रदर्शन-केंद्रित भर्ती को प्राथमिकता दे रही हैं।
TeamLease की रिपोर्ट बताती है कि भारत का नौकरी-बाज़ार धीरे-धीरे मजबूती की ओर बढ़ रहा है — खासकर बड़े उद्यमों और तेज़ी से बढ़ रहे सेक्टरों (ई-कॉमर्स, लॉजिस्टिक्स, रिटेल) में। नौकरी चाहने वालों के लिए संकेत स्पष्ट हैं: संचार, बुनियादी कंप्यूटर दक्षता और आलोचनात्मक सोच में सुधार करें; नियोक्ता अब ‘कौशल-योग्य’ और ‘प्रदर्शन-उन्मुख’ प्रोफ़ाइल की तलाश में हैं। अगर अर्थव्यवस्था स्थिर बनी रहती है और नीतिगत समर्थन बना रहता है, तो H2 FY26 में 4.4% का ग्रोथ-टार्गेट हासिल होना संभव दिखता है — पर यह वृद्धि सभी सैक्टर व आकार-वर्ग के नियोक्ताओं तक समान रूप से नहीं पहुँचेगी।
