अमेरिकी राजनीति और भारत-संयुक्त संबंधों की बस्तियों में एक नया तूफान उठ खड़ा हुआ है। पूर्व राजदूत Rahm Emanuel ने एक तीखा बयान दिया है कि पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत के साथ दशकों पुराने रणनीतिक रिश्तों को नोबेल पुरस्कार की दौड़ में कुर्बान कर दिया।
Emanuel के अनुसार, ट्रम्प ने भारत को अपने स्वार्थ और सार्वजनिक हस्तियों की महिमा बढ़ाने की लालसा के लिए इस तरह की नीतियाँ अपनाईं जो भारत-अमेरिका संबंधों को गहरा ठेस पहुंचा सकती थीं। इस आरोप ने न सिर्फ विदेशनीति की नींव को झकझोर दिया है बल्कि सवाल खड़े कर दिए हैं कि कौन किसके हित में काम कर रहा है — राष्ट्रशीलता या राजनीतिक स्व-महत्व?
पूर्व अमेरिकी अमबेसडर और डेमोक्रेटिक नेता Rahm Emanuel ने एक बड़ा और विवादित आरोप लगाया है — कि पूर्व राष्ट्रपति Donald Trump ने भारत-अमेरिका संबंधों को बर्बाद कर दिया क्योंकि प्रधानमंत्री Narendra Modi ने उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार देने से इनकार कर दिया। यह बयान सिर्फ बयान नहीं है — यह विदेश नीति, रणनीतिक समीकरण और व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा की जंग को उजागर करता है।
आरोपों का सार
Emanuel ने कहा है कि Trump ने भारत के साथ 40 साल की रणनीतिक नीति को “throw away” कर दिया क्योंकि Modi ने उन्हें नोबेल का समर्थन नहीं किया। उन्होंने आगे आरोप लगाया कि ट्रम्प ने पाकिस्तान से जुड़े धन के माध्यम से अपनी महत्वाकांक्षाएँ बढ़ाईं।
विभिन्न मीडिया रिपोर्ट बताते हैं कि Trump ने सार्वजनिक तौर पर दावा किया है कि उन्होंने भारत-पाकिस्तान संघर्ष को मध्यस्थता कर शांत कराया, जबकि भारत ने इन दावों को खारिज किया है।
भारत की प्रतिक्रिया
भारत ने इस आरोप को तुरंत खारिज किया। MEA और शीर्ष कूटनयिकों ने स्पष्ट किया कि देश अपनी नीति और निर्णय स्वतंत्र रूप से लेता है। संबंधों का आधार कभी किसी व्यक्तिगत मांग नहीं हो सकता।
भारत की नई विदेश नीति में आत्मनिर्भरता, रणनीतिक स्वायत्तता और बहुपक्षीय साझेदारी को महत्व दिया गया है। इस तरह के आरोप यथार्थ में भारत की विदेश नीति की स्थिरता को चुनौती देते हैं।
रणनीतिक और बाह्य असर
-
यह आरोप वैश्विक स्तर पर भारत की छवि को प्रभावित कर सकता है — अमेरिका और अन्य देशों के बीच
-
चीन समेत मेजबूत प्रतिद्वंद्वियों को दुष्प्रचार का अवसर मिलेगा — “भारत को अमेरिका ने बेचा”
-
भारत अमेरिका संबंधों की नींव पर सवाल खड़े कर सकता है — विशेषकर रक्षा, व्यापार और रणनीतिक सहयोग में
Rahm Emanuel का आरोप केवल राजनीतिक बयान नहीं — यह एक रणनीतिक प्रश्न है कि क्या विदेश नीति को व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा से प्रभावित किया जाना चाहिए।
भारत ने स्पष्ट किया है कि वह कभी किसी के अधीन न होगा।
आगे हमें यह देखना होगा कि इन आरोपों के कारण अमेरिकी जनता, राष्ट्रपति कार्यालय और भारत-अमेरिका कूटनीति किस दिशा में जाएँगी।
