बिहार की राजनीति हमेशा से देश के राजनीतिक परिदृश्य में अपनी एक विशिष्ट पहचान रखती आई है। यहाँ की राजनीति केवल सत्ता की लड़ाई नहीं, बल्कि सामाजिक समीकरणों, जातीय संरचना, और जनता के भरोसे की एक जटिल कहानी है। आज जब देश 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव की ओर बढ़ रहा है, तो राज्य की राजनीतिक जमीन पर नए समीकरण तैयार होते नज़र आ रहे हैं।
ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य: समाजवाद से विकासवाद तक की यात्रा
बिहार की राजनीति की जड़ें समाजवादी आंदोलन में गहराई से जुड़ी हैं। जयप्रकाश नारायण के संपूर्ण क्रांति आंदोलन से लेकर लालू प्रसाद यादव की सामाजिक न्याय की राजनीति तक — बिहार ने देश को कई बड़े नेता दिए हैं। यह वही धरती है जहाँ राजनीति केवल सत्ता का माध्यम नहीं बल्कि सामाजिक परिवर्तन का प्रतीक रही है।
लेकिन समय के साथ बिहार की राजनीति में भी बदलाव आए। विकास की राजनीति ने सामाजिक न्याय के मुद्दों की जगह लेना शुरू किया। नीतीश कुमार ने ‘सुशासन बाबू’ की छवि के साथ शासन में पारदर्शिता और बुनियादी ढांचे के विकास पर ध्यान केंद्रित किया।
वर्तमान समीकरण: एनडीए बनाम महागठबंधन
आज बिहार की राजनीति मुख्य रूप से दो खेमों में बंटी है — राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) और महागठबंधन (MGB)।
एनडीए में भाजपा, जदयू और लोजपा (रामविलास) जैसे दल शामिल हैं, जबकि महागठबंधन में राजद, कांग्रेस, और वामपंथी पार्टियाँ हैं।
नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के बीच की वैचारिक और राजनीतिक खींचतान अब भी चर्चा का केंद्र बनी हुई है। तेजस्वी जहां युवा नेतृत्व का चेहरा बनकर उभर रहे हैं, वहीं नीतीश कुमार अपनी स्थिर छवि और शासन अनुभव के बल पर मैदान में हैं।
जातीय समीकरण की भूमिका
बिहार की राजनीति को समझने के लिए जातीय समीकरणों को समझना अनिवार्य है। यादव, कुर्मी, दलित, और महादलित समुदायों की भूमिका हर चुनाव में निर्णायक रही है। राजद जहां यादव-मुस्लिम समीकरण पर भरोसा करता है, वहीं जदयू और भाजपा का फोकस पिछड़ों और महादलित वोट बैंक पर है।
2025 के चुनावों में यह देखने योग्य होगा कि क्या युवा मतदाता इस पारंपरिक जातीय राजनीति से ऊपर उठकर विकास, रोजगार और शिक्षा जैसे मुद्दों को प्राथमिकता देंगे।
तेजस्वी बनाम नीतीश: नया नेतृत्व बनाम अनुभवी शासन
तेजस्वी यादव के नेतृत्व में राजद एक नई ऊर्जा के साथ उभर रही है। बेरोज़गारी, महंगाई और सरकारी नौकरियों की कमी जैसे मुद्दों को वह लगातार उठाते रहे हैं। दूसरी ओर, नीतीश कुमार अब भी अपनी प्रशासनिक साख पर टिके हुए हैं।
नीतीश की सबसे बड़ी ताकत उनकी व्यावहारिक राजनीति रही है — वे गठबंधन बदलने में जितने सहज हैं, उतनी ही आसानी से जनता का भरोसा भी जीत लेते हैं। यही लचीलापन उन्हें बार-बार सत्ता तक ले गया है।
लेकिन अब सवाल यह है कि क्या जनता फिर से नीतीश कुमार के “सुशासन” पर भरोसा करेगी या बदलाव की दिशा में कदम बढ़ाएगी?
केंद्रीय राजनीति की छाया
बिहार की राजनीति पर दिल्ली का प्रभाव हमेशा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और भाजपा का संगठनात्मक ढांचा बिहार में एनडीए को मजबूती देता है। वहीं, विपक्षी दल ‘इंडिया गठबंधन’ के तहत एकजुट होने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उनकी रणनीति में एकता की कमी अभी भी दिखाई देती है।
जनता की उम्मीदें: रोजगार, शिक्षा और सुरक्षा
बिहार के लोगों की प्राथमिक समस्याएँ आज भी वही हैं — रोजगार की कमी, शिक्षा की गिरती गुणवत्ता, और कानून व्यवस्था पर सवाल। लाखों युवा आज भी रोजगार की तलाश में दिल्ली, पंजाब या गुजरात की ओर पलायन कर रहे हैं।
राजनीतिक दल अब इन वास्तविक मुद्दों को केंद्र में रखकर अभियान चलाने लगे हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या केवल वादों से जनता संतुष्ट होगी या इस बार बिहार का वोटर ‘परिणाम आधारित राजनीति’ का फैसला करेगा?
2025 का चुनाव: बदलाव का साल या स्थिरता की वापसी?
आगामी चुनाव न केवल बिहार की सत्ता के लिए, बल्कि देश की राजनीति के लिए भी दिशा तय करेंगे। अगर महागठबंधन जनता के बीच एक सशक्त विकल्प के रूप में उभरता है, तो विपक्षी राजनीति को नई ऊर्जा मिल सकती है।
वहीं अगर एनडीए एक बार फिर सत्ता में लौटता है, तो यह इस बात का संकेत होगा कि जनता अभी भी स्थिरता और विकास को प्राथमिकता दे रही है।
संपादकीय निष्कर्ष
बिहार की राजनीति केवल चुनाव का खेल नहीं, बल्कि लोकतंत्र की गहराई का प्रतिबिंब है। यहाँ की जनता राजनीतिक रूप से जागरूक है और बार-बार साबित कर चुकी है कि वह किसी भी दल को आँख मूँदकर वोट नहीं देती।
2025 का चुनाव यह तय करेगा कि बिहार किस दिशा में जाएगा — सामाजिक न्याय की परंपरा की ओर या आधुनिक विकास के नए अध्याय की ओर।
लोकतंत्र में परिवर्तन की गुंजाइश हमेशा रहती है। अब देखना यह है कि इस बार जनता किस पर भरोसा जताती है — पुराने अनुभव पर या नई ऊर्जा पर।
Share this:
- Click to share on Facebook (Opens in new window) Facebook
- Click to share on X (Opens in new window) X
- Click to share on Threads (Opens in new window) Threads
- Click to print (Opens in new window) Print
- Click to share on WhatsApp (Opens in new window) WhatsApp
- Click to email a link to a friend (Opens in new window) Email
- Click to share on Reddit (Opens in new window) Reddit
- Click to share on Pinterest (Opens in new window) Pinterest
