रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने स्पष्ट शब्दों में कहा — “पाकिस्तान की सुरक्षा के साथ कोई खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जो भी तत्व हमारी सुरक्षा को खतरे में डालेंगे, उनका मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।” उन्होंने अफगान सरकार पर सीमा से आतंकियों के सुरक्षित आवास की शिकायत दोहराई और कहा कि अफगानिस्तान को सीमा पर नियंत्रण रखना होगा।
विशेषज्ञों का कहना है कि तालिबान के इस तरह के बयान दोनों देशों के बीच लंबे समय से चले आ रहे असंतोष और अविश्वास को और गहरा कर सकते हैं। 2021 में तालिबान के सत्ता में लौटने के बाद उम्मीद थी कि क्षेत्रीय स्थिरता बढ़ेगी — पर अब सीमा पर हमलों और टीटीपी जैसे समूहों की सक्रियता ने तनाव बढ़ा दिया है।
सुरक्षा अधिकारियों ने इस्लामाबाद, पेशावर और क्वेटा में सुरक्षा चौकसी बढ़ा दी है। संवेदनशील इलाकों की निगरानी और चेक‑पोस्ट्स पर सतत गश्त के आदेश दिए गए हैं। साथ ही, भारत और अन्य पड़ोसी देशों को भी स्थिति के बारे में सूचित किया गया है ताकि क्षेत्रीय असर का आकलन किया जा सके।
विश्लेषण: क्षेत्रीय प्रभाव
अफगानिस्तान‑पाकिस्तान तनाव का असर सिर्फ दोनों देशों तक सीमित नहीं रहेगा। यदि संघर्ष बढ़ता है तो देशों के बीच व्यापार, शरणार्थी प्रवाह और सुरक्षा सहयोग प्रभावित होंगे। अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक चेतावनी दे रहे हैं कि इस समस्या का समाधान द्विपक्षीय संवाद और सीमापार आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त कार्रवाई के बिना मुश्किल है।
निष्कर्षतः, तालिबान की धमकी ने व्यवहारिक रूप से क्षेत्र की नाज़ुक सुरक्षा स्थिति को रेखांकित कर दिया है — और समय पर कूटनीतिक पहल व सुरक्षा समन्वय ही आगे संभावित संकट को टाल सकते हैं।
