नोएडा (उप्र): शहर के घाटों एवं सोसाइटी क्षेत्रों में इस बार छठ पूजा की शुरुआत भक्तिमय अंदाज़ में हुई। श्रद्वालुओं ने शनिवार सुबह “नहाय-खाय” के अनुष्ठान से चार दिन के महापर्व की शुरुआत की, और पारंपरिक छठी मइया के गीतों से वातावरण मंत्रमुग्ध हो गया।
पवित्र स्नान और आरंभिक व्रत
विश्वास है कि इस दिन व्रती पवित्र घाट या नदी में स्नान कर, शुद्ध होकर शाकाहारी भोजन ग्रहण करते हैं — ताकि अंततः सूर्य देव तथा छठी मइया को प्रणाम कर सकें। नोएडा शहर में भी ऐसे ही दृश्य देखने को मिले। नगरीय समितियों ने घाटों को विशेष रूप से सजाया था और समाज-सेवी सक्रिय रूप से तैयारियों में व्यस्त थे।
गीतों की गूँज और सांस्कृतिक ऊर्जा
मैले गीत-गायन से शुरुआत-दिन का माहौल और भी भक्ति-प्रधान बन गया। “पहिले-पहिले हम कइनी, छठी मइया व्रत तोहार…” जैसे छठ गीतों ने श्रद्धालुओं को उत्साह के साथ जोड़ दिया।
श्रेणीय तैयारी और स्थानीय व्यवस्थाएँ
- नोएडा स्थानीय प्रशासन तथा छठ समिति ने इस आयोजन के लिए घाट चिन्हित किए हैं।
- घाटों पर साफ-सफाई, जल स्रोत तथा खाने-पीने की व्यवस्था विशेष रूप से सुनिश्चित की गई है।
- व्रती व परिवार सदस्य बड़े-बड़े समूहों में सुबह से ही जुटते दिखे, कुछ ने सामाजिक दूरी एवं स्वच्छता पर भी विशेष ध्यान दिया।
इस दिन के आरंभ-क्रम: क्या होता है?
- नहाय-खाय: व्रती नदी या घाट में स्नान करते हैं, फिर लौकी की सब्जी आदि शाकाहारी भोजन ग्रहण करते हैं।
- इसके बाद अगले दिन खरना व्रत शुरू होता है, जिसमें निर्जला उपवास होता है—और तत्पश्चात सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।
- फिर शाम को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य तथा अगली सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया जाता है।
सामाजिक-आध्यात्मिक महत्व
छठ पूजा केवल व्रत-उपवास का महापर्व नहीं है; यह विश्वास, स्वच्छता, परिवार-मिलन तथा प्राकृतिक शक्ति (सूर्य) की उपासना का संगम है। नोएडा जैसे महानगरीय क्षेत्र में यह पर्व पारंपरिक रूप से निष्पादन, लेकिन आधुनिक सुविधाओं तथा आदर्श व्यवस्थाओं के साथ मनाया जा रहा है।
नोएडा में छठ पूजा की शुरुआत “नहाय-खाय” से इस बात का संकेत है कि परंपराएं बदल नहीं रहीं, बल्कि उनके आयोजन में आधुनिकता और व्यवस्था बेहतर हो रही है। गीत-भजन, घाट-तैयारी, व्रतों का क्रम — सब मिलकर इस महापर्व को शहर-जीवन में भी जीवंत बनाते हैं।
