जानिए क्या कहा पिंकी और मुनीश ने
इस पूरे विवाद की सच्चाई जानने के लिए एक टीम हरियाणा के उन इलाकों में पहुंची, जहां यह मामला बताया जा रहा था। जांच में सबसे पहले सामने आईं दो असली मतदाता — पिंकी और मुनीश। दोनों ने अपने‑अपने घरों पर चौंकाने वाली सच्चाई बताई।
“हमने 2024 के लोकसभा चुनाव में खुद वोट डाला था। हमारा वोट किसी और ने नहीं डाला। बस पहली बार जब कार्ड बना था, तो उसमें गांव की दूसरी महिला की फोटो गलती से लग गई थी। हमने सुधार के लिए आवेदन भी किया था।” — पिंकी
इसी तरह, मुनीश के परिवार ने भी बताया कि उनका वोट पूरी तरह सही ढंग से डाला गया था। उन्होंने कहा कि यह फोटो गलती बूथ‑लेवल ऑफिसर (BLO) या डेटा एंट्री करने वाले कर्मचारी की तरफ से हुई होगी, लेकिन इससे यह कहना गलत होगा कि किसी विदेशी मॉडल की फोटो जानबूझकर लगाई गई थी।
दरअसल, सोशल मीडिया पर कई पोस्ट्स में यह दावा किया गया था कि वोटर कार्ड पर दिखाई देने वाली तस्वीर किसी ब्राज़ीलियन मॉडल की है, जो असल में भारत से कोई संबंध नहीं रखती। इस दावे के बाद विपक्षी नेताओं ने इसे चुनाव आयोग की “लापरवाही” बताया और मतदाता पहचान प्रक्रिया पर सवाल उठाए। लेकिन आज तक की ग्राउंड रिपोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि कार्ड में लगी तस्वीर गलती से बदल गई थी और मतदाता स्वयं भारतीय नागरिक हैं जिन्होंने वास्तविक रूप से मतदान किया था।
क्यों हुई ऐसी गलती
भारत में वोटर आईडी कार्ड तैयार करने की प्रक्रिया में BLO यानी Booth Level Officer की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। वे मतदाता का फोटो, दस्तावेज़ और विवरण लेकर उसे ऑनलाइन सिस्टम में अपडेट करते हैं। कई बार सीमित संसाधन, नेटवर्क की समस्या, या डेटा‑एंट्री के दौरान मानव‑त्रुटि के कारण फोटो या जानकारी गलत अपलोड हो जाती है। यह गलती चुनाव आयोग की जानबूझकर की गई लापरवाही नहीं मानी जाती, बल्कि तकनीकी और मानवीय भूल के तौर पर देखी जाती है।
इस पूरे प्रकरण के बाद लोगों में यह सवाल जरूर उठा कि अगर एक ही वोटर कार्ड पर किसी विदेशी मॉडल की फोटो लग सकती है, तो क्या वोटिंग सिस्टम सुरक्षित है? विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में वोट डालने के लिए EPIC (Electors Photo Identity Card) के अलावा वोटर लिस्ट और फिंगर‑मार्किंग सिस्टम भी होता है। यानी किसी और व्यक्ति के नाम से वोट डालना लगभग असंभव है। इसलिए यह मामला वोट चोरी का नहीं, बल्कि फोटो मिसमैच का है, जो बाद में सुधारा भी जा सकता है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ भी आईं: राहुल गांधी के दावे के बाद भाजपा नेताओं ने कहा कि यह “भ्रामक प्रस्तुति” है और कांग्रेस चुनावी माहौल में भ्रम फैलाने की कोशिश कर रही है। वहीं कांग्रेस का कहना है कि चाहे गलती जानबूझकर हो या न हो, चुनाव आयोग को इस तरह की गड़बड़ियों को पूरी तरह समाप्त करना चाहिए ताकि मतदाता का भरोसा बना रहे।
आज तक की जांच रिपोर्ट ने एक बार फिर साबित किया कि किसी भी वायरल दावे पर भरोसा करने से पहले तथ्यों की जांच ज़रूरी है। पिंकी और मुनीश जैसे सामान्य नागरिक जब सामने आए, तो यह साफ हुआ कि यह कोई “फर्जी वोटिंग” नहीं, बल्कि एक मानवीय त्रुटि थी।
भारत का चुनावी तंत्र विशाल है — करोड़ों मतदाता, लाखों बूथ और हजारों अधिकारी। इतनी बड़ी प्रक्रिया में गलती संभव है, लेकिन सच्चाई यह है कि लोकतंत्र की जड़ें मज़बूत हैं और हर वोट सुरक्षित है।

