बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के अंतर्गत प्रचार-दौर में एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आरा में जनसभा को संबोधित किया। इस सभा में उन्होंने अपने संबोधन के दौरान कांग्रेस-RJD गठबंधन (जिसे अक्सर ‘महा-गठबंधन’ कहा जा रहा है) के विरुद्ध तीखे आरोप लगाये। उन्होंने कहा कि RJD ने कांग्रेस की सहमति के बिना ही मुख्यमंत्री चेहरे का निर्णय ले लिया — “कांग्रेस की कनपटी पर कट्टा रखकर” — और मुख्यमंत्री का चेहरा अपने अनुकूल तय कराया।
मोदी की मुख्य बातें
प्रधानमंत्री मोदी ने सभा में निम्न-प्रमुख बातें कहीः
- उन्होंने आरोप लगाया कि RJD-कांग्रेस गठबंधन में गहरी दरार है, क्योंकि कांग्रेस ने RJD के किसी नेता को मुख्यमंत्री चेहरे के रूप में स्वीकार नहीं किया था, लेकिन RJD ने “बंदूक के बल” से उसे सीएम चेहरा बना लिया।
- उन्होंने यह भी कहा कि यदि RJD का चेहरा मुख्यमंत्री बना, तो बिहार में “अपहरण उद्योग, रंगदारी, मर्डर” जैसे मंत्रालय बनेंगे — यह भाषा उन्होंने अपने संबोधन में प्रयुक्त की।
- साथ ही उन्होंने जनता से अपील की कि विकास-पथ पर बिहार को आगे ले जाने के लिए इस बार उन्हें मजबूत समर्थन देना चाहिए और ‘जंगल राज’ को वापस नहीं आने देना चाहिए।
राजनीतिक संदर्भ एवं पृष्ठभूमि
यह बयान ऐसे समय पर आया है जब बिहार में चुनावी माहौल चरम पर है। Indian National Congress और RJD द्वारा गठबंधन किया गया है, जिसमें Tejashwi Yadav को मुख्यमंत्री चेहरे के रूप में घोषित किया गया है। (Wikipedia) मोदी-गठबंधन (विशेष रूप से Bharatiya Janata Party + Janata Dal (United)) इसे एक अवसर मान रहा है कि वह ‘विकास’ और ‘सुरक्षा’ के वादे के साथ चुनाव मैदान में उतरे। इस पृष्ठभूमि में मोदी का यह हमला प्रतिद्वंद्वी गठबंधन की विश्वसनीयता, नेतृत्व क्षमता, तथा शासन-परिवर्तन की संभावना पर सवाल उठाने की रणनीति के तौर पर देखा जा सकता है।
संभावित प्रभाव
इस बयान के कई प्रभाव हो सकते हैं:
- जनमत-प्रभाव: मोदी का यह हमला सीधे गठबंधन के नेतृत्व और उनकी निर्णय-क्षमता पर सवाल खड़ा करता है। इससे यह गठबंधन ‘कमजोर’ या ‘अविश्वसनीय’ के रूप में जनता के सामने आ सकता है।
- चुनावी रणनीति: भाजपा-एनडीए के लिए यह मौका है कि वह अपराध-राज, वंशवाद, विकास व अन्य मुद्दों को चुनावी चर्चा के केंद्र में रखें।
- मीडिया एवं सार्वजनिक चर्चा: मीडिया में RJD-कांग्रेस गठबंधन की अंदरूनी बॉक्सिंग, निर्णय-प्रक्रिया व नेता-हीनता पर बहस तेज हो सकती है।
- गठबंधन पर दबाव: जैसा कि मोदी ने कहा, गठबंधन के भीतर ‘विरोध’ है — यह दावा यदि जनता में जगह बना ले, तो गठबंधन को अपने संदेश और चेहरे को और स्पष्ट करने का दबाव होगा।
आलोचनात्मक विचार
हालाँकि मोदी ने जो आरोप लगाये हैं वे राजनीतिक भाषा में सामान्य हैं, लेकिन यह भी ध्यान देना चाहिए कि:
- राजनीतिक दलों द्वारा ऐसे हमले अक्सर जनहित-से अधिक चुनावी रणनीति के रूप में इस्तेमाल होते हैं।
- यह आरोप “कांग्रेस की कनपटी पर कट्टा रखकर” वाक्य की शैली में दिए गए हैं — जो प्रतीकात्मक रूप से तीखे हैं, लेकिन तथ्य-पर आधारित विश्लेषण की आवश्यकता होती है कि वास्तव में नेतृत्व-चयन प्रक्रिया कितनी पारदर्शी थी।
- इसके साथ ही, जनता का फोकस केवल आरोप-प्रत्यारोप पर न जाकर विकास, रोज़गार, कानून-व्यवस्था जैसे बुनियादी मुद्दों पर होना चाहिए ताकि चुनाव केवल रन-गन युद्ध न बने।
- अंततः, यह देखा जाना चाहिए कि क्या यह बयान गठबंधन के मतदाता आधार को प्रभावित करेगा या नहीं — खासकर उन राज्यों में जहाँ विकास-मुद्दे अधिक भावुक हैं।
इस जनसभा में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा लगाए गए आरोपों ने बिहार चुनाव 2025 में एक और आयाम जोड़ दिया है — जहाँ अब नहीं सिर्फ विकास और रोजगार बल्कि नेतृत्व-विश्वास, गठबंधन-मजबूती और निर्णय-प्रक्रिया समेत राजनीतिक-सवाल भी प्रमुख हो गए हैं। भाजपा-एनडीए इसे अपने पक्ष में इस्तेमाल करना चाहेगा, जबकि RJD-कांग्रेस गठबंधन को इस चुनौतियों का सामना करना होगा कि वह अपने चेहरे, नीतियों और जनता के भरोसे को स्पष्ट रूप से पेश कर सके। आगामी मतदान और मतगणना इस मैदान में कितनी दूर-तक बदलाव लाती है, यह देखने योग्य रहेगा।

