नई दिल्ली — आज सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई (B.R. Gavai) की अदालत में सुनवाई के दौरान एक व्यक्ति ने अचानक कोर्ट में हंगामा मचाया और उनकी ओर एक जूता फेंकने का प्रयास किया। इस घटना से कोर्ट की कार्यवाही कुछ समय के लिए बाधित हो गई।
घटना का क्रम और सुरक्षा व्यवस्था
सूत्रों के अनुसार, वह व्यक्ति वकील की वर्दी पहन कर अदालत में प्रवेश किया था। जैसे ही मामला CJI की बेंच पर सूचीबद्ध किया जाना था, उसने जूता निकाल कर सीजेआई की ओर फेंकने की कोशिश की। तुरंत ही सुरक्षा अधिकारी सक्रिय हो गए और उस व्यक्ति को अदालत कक्ष से बाहर ले जाया गया।
कोर्ट में मौजूद वकील और अन्य लोग हड़बड़ी में हट गए। इस बीच, सुनवाई कुछ देर के लिए स्थगित कर दी गई, लेकिन बाद में मामला सुचारू रूप से फिर शुरू हो गया।
अदालत और सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल
इस घटना से यह सवाल उठता है कि सुप्रीम कोर्ट परिसर में सुरक्षा व्यवस्था कितनी पुख्ता है। ऐसे संवेदनशील स्थान पर किसी व्यक्ति का हथियार (यहाँ जूता भी समझा जा सकता है) लाना बड़ी चूक है।
साथ ही, यह घटना न्यायपालिका को निशाने पर लेकर होने वाली विवादस्पद टिप्पणियों और सामाजिक भावनाओं की तीव्रता को भी दर्शाती है।
व्यापक परिदृश्य और संवेदनशीलता
कुछ दिन पहले, CJI गवई ने खजुराहो मंदिर विवाद से जुड़े एक सुनवाई दौरान एक भोली-भाली टिप्पणी की थी — “Go ask your deity” — जिसे लेकर धार्मिक समूहों में नाराज़गी फैली थी। ऐसा माना जा रहा है कि उक्त विवाद ने इस घटना की पृष्ठभूमि तैयार की हो।
अन्य मीडिया स्रोतों के अनुसार, उस व्यक्ति ने “Sanatan ka apmaan nahi sahenge” जैसे नारे भी लगाए, जिससे यह संकेत मिलता है कि उसकी प्रतिक्रिया धार्मिक भावनाओं से प्रेरित थी।
सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई गवई के खिलाफ जूता फेंकने की इस घटना ने न्यायपालिका की गरिमा और सुरक्षा व्यवस्था दोनों की चुनौती पेश की है। कोर्ट की कार्यवाही को बाधित किया जाना और संवेदनशील न्यायालयिक स्थान पर इस तरह की कार्रवाई, उन सामाजिक तनावों और निजी नाराज़गी की झलक है जो कानून और धर्म के बीच संघर्ष में अक्सर उभरती हैं।
इस मामले में आगे क्या कार्रवाई होगी — आरोप कौन लगाएगा, सुरक्षा को कैसे और मजबूत किया जाएगा — यह सब आने वाले समय में स्पष्ट हो पाएगा।
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