New Delhi – नमस्कार साथियों देश हो या विदेश हो नेता प्रतिपक्ष गलत बयान बाज़ी से बाज नहीं आते हैं किसी ना किसी मंच पर उनके बयान बाज़ी से राजनीति को अलग मोड़ मिल जाता है और माहौल गर्म हो जाता है इसी के बीच आपको बता दें की केंद्रीय मंत्री किरण रिजूजू ने कहा है कि “मैं राहुल गांधी को इसलिए अहमियत देता हूं, इज्ज़त देता हूं क्योंकि वे नेता प्रतिपक्ष हैं। एक व्यक्ति के रूप में राहुल गांधी से हमारा कोई लेना-देना नहीं है। मैं संसदीय कार्य मंत्री हूं, अगर हमारे नेता प्रतिपक्ष इस तरह गैर-ज़िम्मेदाराना बातें करेंगे, तो मुझे अच्छा नहीं लगेगा।
अगर हम इतिहास देखें, तो इंदिरा गांधी भी नेता प्रतिपक्ष थीं। जब उनसे विदेश में पूछा गया कि भारत में आपके खिलाफ सरकार कार्रवाई करती है इसपर आपका क्या कहना है तो इंदिरा गांधी ने भी कहा था कि वे अपने देश और सरकार के बारे में देश के बाहर कुछ नहीं कहेंगी। उनके बाद जितने भी नेता प्रतिपक्ष आए, चाहे वह अटल बिहारी वाजपेयी हों, लाल कृष्ण आडवाणी हों, सुषमा स्वराज हों, शरद पवार हों, कई नेता प्रतिपक्ष हुए हैं, लेकिन मुझे एक भी नेता प्रतिपक्ष दिखाइए जिसने भारत के बाहर जाकर भारत के खिलाफ बयान दिया हो। राहुल गांधी पहले ऐसे नेता प्रतिपक्ष हैं जो देश के बाहर जाकर देश के खिलाफ बयान देते हैं।”
राहुल गांधी ने क्या कहा?
विदेश यात्रा के दौरान, कोलंबिया की EIA यूनिवर्सिटी में एक सभा में राहुल गांधी ने कहा कि भारत में लोकतंत्र पर एक बड़े पैमाने पर हमला हो रहा है। उन्होंने इसे देश के सामने सबसे बड़ी चुनौती बताया। उन्होंने भारत और चीन की तुलना करते हुए कहा कि चीन का सिस्टम केंद्रीकृत और सख्त है, जबकि भारत “बहुभाषी, बहुदार्शनिक, विविधता वाला” देश है। भारत का लोकतांत्रिक तंत्र ही लोगों को अलग-अलग विचारों को आवाज़ देने का मौका देता है। उन्होंने यह आरोप लगाया कि आज सत्ता की संरचना इतनी केंद्रीकृत हो गयी है कि कुछ व्यापारिक गृहों का प्रधानमंत्री से सीधा संबंध बन गया है, और भ्रष्टाचार अब बहुत ऊँची जगह तक पहुंच गया है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत का बहुविधान प्रणाली, विभिन्न भाषाएँ, विविध संस्कृतियाँ — ये सब उसका एक जटिल लेकिन मजबूत डिज़ाइन हैं — और यह डिज़ाइन “तानाशाही मॉडल” को स्वीकार नहीं करती।
विवाद क्यों उठा?
#WATCH | दिल्ली: केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, “मैं राहुल गांधी को इसलिए अहमियत देता हूं, इज्ज़त देता हूं क्योंकि वे नेता प्रतिपक्ष हैं। एक व्यक्ति के रूप में राहुल गांधी से हमारा कोई लेना-देना नहीं है। मैं संसदीय कार्य मंत्री हूं, अगर हमारे नेता प्रतिपक्ष इस… pic.twitter.com/ppFgvpElWG
— ANI_HindiNews (@AHindinews) October 5, 2025
राहुल गांधी का ये बयान राजनीतिक और संवैधानिक रूप से संवेदनशील है। इसके कारण विवाद इस तरह पैदा हुआ:
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देश की छवि पर आरोप
भाजपा और इसके समर्थक दलों का कहना है कि राहुल गांधी ने विदेश में जाकर भारत की लोकतांत्रिक संस्थाओं पर गंभीर आरोप लगाए, जो देश की अंतरराष्ट्रीय छवि को प्रभावित कर सकता है। - “विदेश में टिप्पणी” का मुद्दा
अक्सर ये कहा जाता है कि यदि कोई नेता विदेश में जाकर देश की नीतियों या समस्याओं की आलोचना करे, तो उसे “देश विरोधी रवैया” कहकर निशाना बनाया जाता है। राहुल के बयान पर भी यही राजनीति हो रही है। - लोकतंत्र और संस्थाओं पर भरोसे का विषय
जब ये आरोप लगते हैं कि लोकतंत्र पर हमला हो रहा है, तो यह सीधे ही न्यायपालिका, चुनाव आयोग, मीडिया और अन्य संवैधानिक संस्थाओं की भूमिका को सवालों के घेरे में ले आता है। सरकार और विपक्ष इस पर अपनी-अपनी दलीलें पेश करते हैं। - राजनीतिक लड़ाई का हथियार
हर बयान को राजनीतिक दलों द्वारा हथियार की तरह इस्तेमाल किया जाता है — विरोधी दल उस बयान को लेकर मोर्चा खोलते हैं, मीडिया में बहस शुरू होती है, और जनता में मतभेद गहरा सकते हैं। राहुल गांधी का बयान भी इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
