पटना, 5 अक्टूबर 2025 — जैसे जैसे दिन बीत रहे हैं ठीक वैसे बिहार में विधानसभा चुनाव की हलचल तेज हो रही है इसी बीच मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार ने पटना में एक विशेष प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करके चुनाव आयोग की तैयारियों, सुरक्षा इंतज़ामों और नए सुधारों की जानकारी दी है। आपको बता दें की की इस प्रेस कॉन्फ्रेंस चुनावी हलचल तेज होने के साथ सियासी पारा भी चरम पर हैं।
#WATCH पटना, बिहार: मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार ने कहा, “बिहार में 243 विधानसभा क्षेत्र हैं…बिहार विधानसभा का कार्यकाल 22 नवंबर, 2025 को समाप्त हो रहा है और उससे पहले चुनाव संपन्न होंगे…चुनाव आयोग ने पहली बार बूथ-स्तरीय अधिकारियों को प्रशिक्षित किया…SIR 24 जून,… pic.twitter.com/EQoAVwAZgW
— ANI_HindiNews (@AHindinews) October 5, 2025
लोकतंत्र का पर्व — मतदाताओं से आह्वान
EC ने अपने संबोधन की शुरुआत में CEC ज्ञानेश कुमार ने बिहार के मतदाताओं को मैथिली भाषा में अभिवादन किया और कहा कि मतदान को एक लोकतंत्र का पर्व की तरह मनाना चाहिए। उनका सुझाव था कि मतदाता इसे उत्सव की तरह देखें, जैसे हम त्योहारों को मनाते हैं। यह संदेश न केवल सजगता का था, बल्कि नागरिकों को मतदान में भागीदारी के लिए प्रेरित करने का एक भावनात्मक अपील भी था।
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तैयारियों का ब्यौरा और प्रमुख कदम
प्रेस कॉन्फ्रेंस में आयोग ने कई नई पहलें और पहले से तय की गई व्यवस्थाएँ सार्वजनिक कीं:
- बिहार में कुल 90,217 बूथ-स्तरीय अधिकारी (BLOs) को तैनात किया गया है, जिसे CEC ने पूरे देश के लिए एक उदाहरण बताया।
- बिहार की विधानसभा में कुल 243 सीटें हैं और वर्तमान विधान सभा की अवधि 22 नवंबर 2025 को समाप्त हो रही है। इसलिए, चुनाव इसी तारीख से पहले संपन्न कराया जाना अनिवार्य है।
- पहली बार बूथ-स्तर एजेंट (BLA) के लिए प्रशिक्षण प्रणाली लागू की गई, जिसमें दिल्ली में 700 एजेंटों को प्रशिक्षण दिया गया।
- प्रत्येक पोलिंग बूथ पर अधिकतम 1,200 मतदाता होंगे, ताकि मतदान के दौरान भीड़ और लंबी कतारों की समस्या कम हो।
- मतदाताओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए बूथ परिसर के बाहर मोबाइल जमा करने (mobile deposit) की सुविधा दी जाएगी, ताकि लोग अपना मोबाइल बाहर जमा कर मतदान कर सकें।
- मतदान के लिए दी जाने वाली वोटर स्लिप पर बूथ संख्या बड़े अक्षरों में होगी, जिससे मतदाता आसानी से बूथ पहचान सकें।
- सभी पोलिंग बूथों पर 100% वेब-कास्टिंग की व्यवस्था होगी, ताकि मतदान प्रक्रिया सार्वजनिक और पारदर्शी हो।
- यदि EVM गिनती में त्रुटि पाई जाती है, तो सभी VVPAT की गिनती की जाएगी और बैलेट वोट की गिनती भी अनिवार्य होगी।
- मतदाता सूची (Electoral Roll) का शुद्धिकरण किया गया है — प्रत्येक ERO (Election Registration Officer) ने इस काम की ज़िम्मेदारी संभाली है। यदि किसी मतदाता का नाम सूची में नहीं आ पाया है, तो वह DM (जिलाधीश) के समक्ष अपील कर सकता है।
- मतदान से पहले हर बूथ पर मॉक पोल करायी जाएगी — जिसमें EVM और VVPAT मिलान किया जाएगा और फॉर्म 17 भरा जाएगा।
- चुनाव के व्यय (expenditure) की सीमा निर्धारित की गई है और हर जिले में एक व्यय अधिकारी नियुक्त किया गया है। प्रत्याशियों को अपने क्रिमिनल रिकॉर्ड से जुड़े नियमों का पालन करना अनिवार्य होगा।
- यदि वोटर कार्ड में कोई त्रुटि हो, तो उसे 15 दिनों के भीतर सुधार करवा लिया जाएगा।
आयोग ने यह स्पष्ट किया कि आधार कार्ड को नागरिकता का प्रमाण नहीं माना जाएगा। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट और कानून के प्रावधानों के अनुसार, आधार केवल पहचान के लिए इस्तेमाल हो सकता है — लेकिन यह जन्म, निवास या नागरिकता का प्रमाण नहीं है।आयोग वर्तमान में यह विचार कर रहा है कि बिहार चुनाव एक एक ही चरण में कराए जाएँ या नहीं। इस विषय पर जल्द ही निर्णय लिया जाएगा। CEC ने कहा कि चुनाव आयोग पहले ही सभी प्रमुख राजनीतिक दलों और ज़िम्मेदार अधिकारियों के साथ बैठक कर चुका है।उन्होंने प्रत्याशियों से अपील की कि वे अपने एजेंट समय रहते नामित करें एवं चुनावी प्रक्रिया में सहयोग करें।
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के ज़रिए यह स्पष्ट हो गया है कि चुनाव आयोग इस बार बिहार में चुनावी प्रक्रिया को और अधिक सुदृढ़, पारदर्शी और सहज बनाने की दिशा में सक्रिय है। मतदाता सूची की शुद्धता, निगरानी प्रणाली, आधुनिक तकनीक उपयोग और मतदाताओं की सुविधा के उपाय — ये सभी पहलें इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं।
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