Babajinews Desk New Delhi 1 Nov – अमेरिका में भारतीय मूल के उद्यमी बैंकिम ब्रह्मभट्ट पर लगभग 500 मिलियन डॉलर (करीब 4,000 करोड़ रुपये) के बड़े लोन फ्रॉड का आरोप लगा है। उन्होंने अपनी कंपनियों — Broadband Telecom, BridgeVoice और अन्य — के जरिए झूठे ग्राहक और नकली राजस्व दिखाकर BlackRock और HPS Investment Partners जैसी वित्तीय संस्थाओं से भारी-भरकम कर्ज लिया। बाद में जब असली आंकड़े सामने आए तो मामला उजागर हुआ। अब उनकी कंपनियों ने Chapter 11 दिवालियापन संरक्षण के लिए आवेदन कर दिया है और बताया जा रहा है कि ब्रह्मभट्ट अमेरिका छोड़कर भारत लौट आए हैं। यह मामला अमेरिका के वित्तीय जगत में एक बड़ा घोटाला माना जा रहा है, जिससे निवेशकों और बैंकों के बीच भरोसे पर असर पड़ सकता है।
जानिए मामला क्या है
- रिपोर्ट के अनुसार, ब्रह्मभट्ट ने अपनी कंपनियों — जिसमें ब्रॉडबैंड टेलीकॉम और ब्रिजवॉइस शामिल हैं — को यह दिखाया कि उनके पास बड़ी संख्या में ग्राहक और मजबूत राजस्व (इनकम) है, जबकि असल में ऐसा नहीं था।
- उन्होंने फर्जी ग्राहक खाते बनाए और नकली राजस्व के दस्तावेज प्रस्तुत किए ताकि अमेरिकी बैंकों से कर्ज (लोन) हासिल किया जा सके।
- इस तरह करीब 2020 से शुरुआत हुई लोन देने की प्रक्रिया और 2021 की शुरुआत तक यह राशि लगभग $385 मिलियन तक बढ़ गई थी, और अगस्त 2024 तक लगभग $430 मिलियन तक पहुँच गई।
- प्रमुख लोनदाता में HPS Investment Partners (HPS) तथा BlackRock समर्थित फंड्स शामिल थे।
- ब्रह्मभट्ट की कंपनियों ने अमेरिकी कानून के अंतर्गत ‘Chapter 11’ दिवालियापन संरक्षण के लिए याचिका दायर की है और उन्होंने निजी दिवालियापन की याचिका भी की है।
- सूचनाओं के अनुसार कार्यालय बंद था, पड़ोसियों ने कहा कि वे कई सप्ताह से वहाँ नहीं दिखे, और खबर यह भी है कि उन्होंने अमेरिका छोड़ कर भारत लौटने की संभावना जताई गई है।
इस मामले के कारण और पृष्ठभूमि
- सामान्यतः जब कंपनियाँ बैंक से लोन लेती हैं, तो उन्हें अपने राजस्व, ग्राहक संख्या, भविष्य की आय आदि को बैंक को प्रमाणित करना पड़ता है — ताकि यह सत्यापित हो सके कि लोन वापस हो सकेगा।
- इस मामले में आरोप है कि उन्होंने इस प्रक्रिया में छल-कपट किया — ग्राहक संख्या, लेन-देन, राजस्व आदि को आप्रामाणिक (false) तरीके से प्रस्तुत किया गया।
- अमेरिका में ‘Chapter 11’ दिवालियापन का मतलब है कि कंपनी कानूनन पुनर्गठन की प्रक्रिया के तहत जाती है — अर्थात् कंपनी पूरी तरह बंद नहीं होती तुरंत, बल्कि कर्जदारों के साथ पुनर्गठन की प्रक्रिया चल सकती है।
- इस तरह के वित्तीय घोटाले में लोनदाता (बैंक/फंड) को बड़े वित्तीय जोखिम का सामना करना पड़ता है, और निवेशक व आम जनता का विश्वास भी क्षतिग्रस्त हो सकता है।
संभावित प्रभाव और अर्थ
- इस घोटाले से अमेरिका में वित्त-संबंधित लेन-देन एवं कर्ज देने वालों की जाँच-पड़ताल कड़ी हो सकती है, खासकर उन मामलों में जहाँ विदेशों से संचालित कंपनियाँ involved हों।
- भारत के लिए यह मामला इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें “भारतीय मूल के व्यक्ति” का नाम सामने आया है, जिससे बाहरी तौर पर भारत-जुड़े उद्यमों की छवि प्रभावित हो सकती है।
- लोनदाता फंड्स और बैंक जिन्हें इस लोन में exposure हुआ है, उन्हें बड़े वित्तीय घाटे का सामना करना पड़ सकता है।
- इसके अलावा, यदि इस तरह के मामलों में नियामक (regulator) सक्रिय रूप से हस्तक्षेप करें, तो भविष्य में ऐसी तस्करी-लोन योजनाओं पर निगरानी एवं सख्ती बढ़ सकती है।
- कंपनियों और निवेशकों के बीच भरोसे की कमी बढ़ सकती है — खासकर उन व्यवसायों में जहाँ राजस्व-सूचनाएँ पारदर्शी न हों।
आगे क्या हो सकता है
- अमेरिकी न्याय-प्राधिकरण इस मामले की गहराई से जाँच करेंगे — धोखाधड़ी के आरोपों की पुष्टि, सहभागियों की भूमिका, धन के स्रोत एवं उपयोग की समीक्षा होगी।
- यदि प्रमाण मिलते हैं, तो बैंकिम ब्रह्मभट्ट और उनकी कंपनियों के खिलाफ आपराधिक मुकदमे दर्ज हो सकते हैं, साथ ही कर्जदाता बैंक व फंड्स को हर्जाना (compensation) हेतु वसूली कार्यवाही करनी पड़ सकती है।
- दिवालियापन की प्रक्रिया में वितरकों, कर्जदाताओं एवं निवेशकों के हितों की सुरक्षा के लिए पुनर्गठन की योजना बनेगी — इसमें कर्जदाताओं को कुछ हिस्सा वापस मिलना, नए निवेशकर्ता आना या कंपनी का दोबारा संचालन संभव हो सकता है।
- भारत-अमेरिका के वित्तीय सहयोग व जानकारी साझेदारी (information sharing) के दायरे में यह मामला चर्चा में आ सकता है — क्योंकि ऐसे मामलों में पारदर्शिता व जांच-प्रक्रिया महत्वपूर्ण होती है।
अगर चाहें, तो मैं इस विषय पर अंग्रेजी स्रोतों सहित विस्तृत रिपोर्ट खोज कर भेज सकता हूँ — जिससे हमें अधिक तथ्य-आधारित जानकारी मिले जैसे कि लोनदाताओं की सूची, कंपनियों का परिचय, कानूनी स्थिति इत्यादि। क्या आप चाहते हैं कि मैं वह करूं?
