पश्चिमी भारत-पाकिस्तान सीमा पर स्थित विवादित क्षेत्र Sir Creek (सिर क्रीक) फिर से रणनीतिक सुर्खियों में है। हाल के दिनों में भारत की तरफ से इस क्षेत्र में अपनी सैन्य तैयारियों को बढ़ाने और त्रि-सेवाओं (आर्मी, नेवी, एयरफोर्स) के संयुक्त अभ्यास की तैयारी के चलते पाकिस्तान में “खलबली” मची हुई है। नीचे इस स्थिति का स्थिति-विश्लेषण दिया गया है।

- क्या है Sir Creek का महत्व?
Sir Creek एक लगभग 96-98 किमी लंबा दलदली (मार्श) इलाका है, जो पश्चिमी भारत (गुजरात के कच्छ क्षेत्र) और पाकिस्तान (सिंध प्रांत) के बीच स्थित है।
इसका महत्व सिर्फ सीमावर्ती जंगली इलाका होने तक सीमित नहीं है — इसके कई आयाम हैं:
- समुद्री सीमाओं (Exclusive Economic Zone – EEZ) और मालूम हैं कि यहाँ तेल-गैस आदि संसाधन हो सकते हैं।
- इस क्षेत्र में घुसपैठ, तस्करी, मछुआरों का विवाद, और इनकी रोक-थाम की चुनौतियाँ हैं।
- भारत-पाकिस्तान के बीच सीमांकन (मैरिटाइम बॉउंड्री) और सुरक्षा दृष्टिकोण से यह इलाका महत्वपूर्ण है।
इसलिए, Sir Creek सिर्फ एक “दलदली पानी वाला क्षेत्र” नहीं बल्कि सामरिक, आर्थिक और रक्षा दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र बन चुका है।
- क्या हो रहा है अब? – भारत की तैयारी और पाकिस्तान की प्रतिक्रिया
हालिया घटनाओं में निम्न-बिंदु प्रमुख हैं:
- भारत सरकार और रक्षा मंत्रलय ने यह बयान दिया है कि अगर पाकिस्तान Sir Creek क्षेत्र में किसी भी तरह की “दुर्भाग्यपूर्ण हरकत” करेगा, तो भारत इतनी निर्णायक प्रतिक्रिया देगा कि “इतिहास और भूगोल दोनों बदल जाएंगे” — यह बयान Rajnath Singh ने दिया।
- भारत ने इस क्षेत्र में एक बड़े सैन्य अभ्यास (त्रि-सेवा) की योजना बनाई है — जिसे कोड-नेम Exercise Trishul कहा गया है। यह अभ्यास करीब आने वाले दिनों में Sir Creek-सीमा नजदीक होगा।
- पाकिस्तान ने अपनी तरफ से हवाई मार्गों में बंदिशें लगाई हैं, और अपनी टुकड़ियों को हाई अलर्ट पर रखा है। यह माना जा रहा है कि यह कदम भारत की तैयारी के जवाब में है।
- पुराने स्रोतों के मुताबिक भारत ने Sir Creek क्षेत्र में अपनी निगरानी और पोटेंशियल सुरक्षा घटकों को भी मज़बूत किया है — जैसे बंकर, तेज नावें, पैट्रोल विहिकल्स आदि।
इन सब संकेतों से यह स्पष्ट है कि Sir Creek क्षेत्र अब कमो-बेश युद्ध-स्तर की तैयारी और तनाव-मूलक गतिविधियों का केंद्र बनता जा रहा है।
- क्यों “पाकिस्तान में खलबली” मानी जा रही है?
कई मीडिया स्रोतों ने संकेत दिए हैं कि पाकिस्तान इस स्थिति को गंभीरता से देख रहा है — और भारतीय तैयारी से उसने खुद को सतर्क कर लिया है। उदाहरणस्वरूप:
- एक रिपोर्ट में कहा गया है कि “पाकिस्तान में panic की स्थिति” बनी हुई है क्योंकि भारत की तैयारी ने उसे चौंका दिया है।
- पाकिस्तान ने कुछ हवाई मार्गों को बंद कर दिया है और कम-से-कम प्रतीकात्मक रूप से अपनी वायु-सीमा में परिवर्तन किया है — यह संकेत माना जा रहा है कि उसने भारत की गतिविधियों पर नज़र जमा ली है।
- भारत द्वारा दी गई चेतावनियों ने यह माना जाना शुरू कर दिया है कि दोस्तो में सिर्फ प्रचार नहीं बल्कि सामरिक संदेश भी जा रहा है — “देखो, हम तैयार हैं”-का।
इस प्रकार पाकिस्तान की प्रतिक्रिया – बंदिशें, हाई अलर्ट, बयानबाजी – यह साफ-साफ बताती है कि वहाँ मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ रहा है।
- जोखिम-मूलक पहलू और आगे की चुनौतियाँ
हालाँकि अभी तक कोई खुला मुकाबला या युद्धालापी कार्रवाई सामने नहीं आई, लेकिन निम्न बातों पर ध्यान देना ज़रूरी है:
- यदि किसी छोटे-मोटे घटक में गलती-मिसक्लिक हो जाएँ — जैसे मछुआरों की विवादित गतिविधि, नाव की घुसपैठ, सेंसर त्रुटि — तो केवल “सामरिक संदेश” से परे जा सकते हैं और घटना-चूक (mis-adventure) खतरनाक रूप ले सकती है।
- Sir Creek का भौगोलिक स्वरूप (दलदली, जल-मार्श, सीमावर्ती इलाका) जटिल है — इसका संचालन आसान नहीं है। रक्षा-तैयारियों को इन कठिनाईयों को ध्यान में लेकर चलना होगा।
- अगर भारत-पाकिस्तान के बीच संवाद न हो और सैन्य तैयारियाँ जारी रहें, तो भरोसे की कमी, गलत समझ, उग्र बयानबाजी आदि की वजह से मामूली-उलझना भी बड़े संकट में बदल सकती है।
- वैश्विक तथा क्षेत्रीय शक्तियों की भूमिका भी चिह्नित हो रही है — जैसे ड्रोन युद्ध, नॉन-कॉन्वेंशनल साधन, समुद्री संचालन आदि, जो सीमित संघर्ष को भी जटिल बना सकते हैं।
अब यह कहना गलत नहीं होगा कि Sir Creek सिर्फ एक सीमावर्ती दलदली इलाका नहीं रहा — यह रणनीतिक परीक्षण-मंच बन गया है। भारत ने स्पष्ट संकेत दिए हैं कि वह अपने पश्चिमी सीमाओं पर सक्रिय है, इस क्षेत्र में तकनीकी, सामरिक तैयारियों को बढ़ा रहा है और किसी भी “दुर्भाग्यपूर्ण हरकत” के प्रति चेतावनी जारी कर रहा है। दूसरी ओर, पाकिस्तान ने इस तैयारी को गंभीरता से लिया है और अपने कदम आगे बढ़ाए हैं।
इस प्रकार, इस चरण में विवाद का स्वरूप बदल रहा है — पारंपरिक सीमा विवाद से आगे निकलकर समुद्री-सामरिक, बहु-सेवा संचालन, नया रक्षा-प्रौद्योगिकी आयाम सामने आ रहे हैं। यदि शांति-संवाद और पारदर्शिता नहीं बढ़ी, तो यह स्थिति किसी समय तेज़ी से बदल सकती है।
