नई दिल्ली / विशाखापत्तनम।- विश्व की प्रमुख टेक कंपनी Google ने भारत में अपनी महत्वाकांक्षी AI (Artificial Intelligence) विकास योजना को आकार दिया है। गूगल के सीईओ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जानकारी दी है कि अगले पांच वर्षों में कंपनी भारत में 15 अरब डॉलर (लगभग ₹1.25 लाख करोड़) का निवेश करेगी। इस निवेश का केंद्र बिंदु होगा विशाखापत्तनम, आंध्र प्रदेश में एक विशाल AI हब और डेटा सेंटर (data centre) का निर्माण। यह गूगल का अमेरिका के बाहर सबसे बड़ा AI हब होने की दावेदारी है।
निवेश की योजना और स्वरूप
गूगल ने बताया है कि इस निवेश का उपयोग निम्नलिखित कार्यों में होगा:
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डेटा सेंटर और AI इन्फ्रास्ट्रक्चर: विशाल व एक गीगावाट क्षमता वाला डेटा कैम्पस बनाया जाएगा ताकि AI मॉडल, क्लाउड सेवाएँ और मशीन लर्निंग प्रक्रियाएँ संचालित हो सकें।
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ऊर्जा और नेटवर्क संसाधन: इस हब को चलाने के लिए स्थिर और स्वच्छ ऊर्जा स्रोत, फाइबर नेटवर्क और विश्वसनीय बिजली कनेक्शन की व्यवस्था होगी।
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स्थानीय नौकरियाँ और टेक्नोलॉजी इकोसिस्टम: इस हब के निर्माण और संचालन के दौरान हजारों नौकरियों का सृजन होगा। साथ ही स्थानीय स्टार्टअप, रिसर्च और AI विकास को बढ़ावा मिलेगा।
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क्लाउड और AI सेवाओं का विस्तार: भारत और एशिया के अन्य देशों को गूगल की AI सेवाएँ और क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर और भी सुलभ होंगी।
गूगल क्लाउड के CEO थॉमस कुरियन ने इसे “US के बाहर सबसे बड़े AI हब में निवेश” कहा है।
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प्रधानमंत्री से गूगल की बातचीत
गूगल की यह घोषणा प्रधानमंत्री मोदी से हुई एक मुलाकात के दौरान सामने आई। सीईओ और मोदी के बीच की बातचीत में यह विषय प्रमुख रहा कि भारत में आने वाला यह निवेश किस प्रकार राष्ट्रीय डेवलपमेंट उद्देश्यों, डिजिटल इंडिया व AI भारत मिशन के साथ संरेखित होगा।
मोदी सरकार के डिजिटल और टेक् नोलॉजी एजेंडों को देखते हुए, यह कदम उनकी नीतियों के अनुरूप माना जा रहा है, जिसमें विदेशी तकनीकी निवेश और भारत को AI वैश्विक केंद्र बनाने की दिशा पर बल दिया गया है।
🌐 इस निवेश का महत्व और प्रभाव
इस निवेश की चर्चा सिर्फ आर्थिक पैमाने पर नहीं, बल्कि रणनीतिक और तकनीकी दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है:
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भारत को AI महाशक्ति बनाने का सपना
यदि गूगल का यह AI हब सफल होता है, तो भारत AI अनुसंधान, डेटा प्रोसेसिंग और क्लाउड सेवाओं में एक प्रमुख केंद्र बन सकता है। -
डेटा सुरक्षा और स्थानीय होस्टिंग
स्थानीय डेटा केंद्र होने से डेटा को भारत के भीतर ही रखने की सुविधा होगी — यह राष्ट्रीय सुरक्षा, गोपनीयता और कानूनन अनुपालन को मजबूत करेगा। -
प्रतियोगी कंपनियों को चुनौती
माइक्रोसॉफ्ट, AWS आदि पहले से भारत में बड़े डेटा केंद्र चला रहे हैं। गूगल का यह कदम उन्हें कड़ी प्रतिस्पर्धा देगा। -
नौकरी और तकनीकी बढ़ावा
इस परियोजना के लिए न केवल निर्माण कार्य बल्कि R&D, ऑपरेशन, रखरखाव, साइबर सुरक्षा आदि क्षेत्रों में रोज़गार का अवसर बनेगा। -
रेन्युएबल ऊर्जा और ग्रीन टेक्नोलॉजी
बड़े डेटा सेंटर ऊर्जा की खपत करते हैं। इसलिए यह परियोजना स्वच्छ ऊर्जा और हरित बिजली स्रोतों को प्राथमिकता दे सकती है।
चुनौतियाँ और जोखिम
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उच्च लागत और निवेश रिकवरी
इतने बड़े पैमाने पर निवेश में लाभ प्राप्त करना चुनौती हो सकता है। -
उपयुक्त बिजली और अवसंरचना
स्थिर बिजली कनेक्शन, ट्रांसमिशन लाइन, फाइबर नेटवर्क को तैयार करना आवश्यक है। -
नियामक और अनुमति प्रक्रियाएँ
राज्य और केंद्र दोनों स्तरों पर पर्यावरण, भूमि उपयोग और टेक्नोलॉजी नियमों का पालन करना होगा। -
डेटा गोपनीयता व कानून
भारत में डेटा सुरक्षा कानून अभी पूरी तरह स्पष्ट नहीं हैं। संचालन में संवेदनशील डेटा को सुरक्षित रखना महत्वपूर्ण होगा। -
सकल प्रतियोगिता और राजनीतिक जोखिम
टैक कंपनियों और नीतियों में बदलाव होने का जोखिम रहता है।
