Bihar (Patna) – बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र पटना सिटी क्षेत्र में राजनीतिक गतिविधियाँ तीव्रता से बढ़ रही हैं। इस क्षेत्र में राष्ट्रीय जनता दल (रालोद)-कांग्रेस-पक्ष “महागठबंधन”, भारतीय जनता पार्टी-जेडीयू-आलिंके “राष्ट्रिय लोकतान्त्रिक गठबंधन” (एनडीए) तथा नए प्रतिद्वंद्वी जन सुराज पार्टी (जनसुराज) के बीच त्रिकोणीय संघर्ष की स्थिति बनी हुई है।

मुख्य मुद्दे और रणनीतियाँ
विपक्ष की रणनीति
पक्ष में यह प्रयास हो रहा है कि सरकार को अपराध, बेरोज़गारी, पलायन जैसे मुद्दों पर कटघरे में खड़ा किया जाए। उदाहरणस्वरूप, “जुमलेबाज लोगों पर बिहार की जनता विश्वास नहीं करती” जैसी घोषणाएँ की गई हैं।
एनडीए की दिशा
वहीं एनडीए ने पुरानी यादें (जैसे लालू प्रसाद यादव के शासन-काल) सामने रखकर यह मैसेज देने की कोशिश की है कि वर्तमान में विकास का मॉडल चल रहा है, एवं वोटरों को यह भरोसा दिलाया जा रहा है कि “अब बदलाव जारी है।”
तीसरे मोर्चे – जनसुराज पार्टी
जनसुराज पार्टी ने इस क्षेत्र में अपनी पैठ बनानी शुरू कर दी है और इससे दोनों बड़े गठबंधनों के वोट बैंक में विभाजन का डर है।
संभावित प्रभाव एवं चुनौतियाँ
- त्रिकोणीय मुकाबले की स्थिति में वोट विभाजन होगा, जिससे पारंपरिक गठबंधन-दleniरों के लिए जीत की राह जटिल हो सकती है।
- छोटे दलों के प्रवेश से स्थानीय मुद्दों (शहर-इन्फ्रास्ट्रक्चर, वाटर-सप्लाई, ट्रैफिक, आदि) को प्रमुखता मिल रही है, जिससे चुनावी एजेंडा यथार्थ-निकट हो रहा है।
- किसी भी दल द्वारा बड़े वादे किए जा रहे हैं, लेकिन विश्वसनीयता का प्रश्न भी है—विशेषकर तब जब विपक्ष “जुमलेबाजी” का आरोप लगाता है।
पटना सिटी में होने वाला यह मुकाबला सिर्फ सीट जीतने का संघर्ष नहीं है, बल्कि वोटरों के मन-मस्तिष्क में चल रही आत्मा-खोज का हिस्सा भी है—कि वे किस दल-गठबंधन को अपनी उम्मीदों का प्रतिनिधि मानते हैं। यदि जनसुराज पार्टी सफल होती है, तो यह स्थापना-गठबंधन के लिए स्पष्ट चेतावनी होगी। वहीं पारंपरिक गठबंधन के लिए यह समय है कि वो स्थानीय-स्तर पर जमीन-हकीकत से जुड़ें और वादों को असरदार रूप दें।
यह रहे Patna Sahib Assembly Constituency (विधानसभा क्षेत्र संख्या 184) का — पिछले चुनावों का संक्षिप्त डेटा, उम्मीदवार-वोट शेयर व वोटिंग ट्रेंड के साथ। आप चाहें तो आगे पूरे उम्मीदवारों की सूची व वोटर ब्रेकअप (CASTE/रूचि आदि) भी दे सकता हूँ।
पिछले चुनावों का डेटा
| वर्ष | विजेता | पार्टी | प्राप्त वोट | वोट % (लगभग) | उपविजेता | वोट अन्तर |
| 2020 | Nand Kishore Yadav | Bharatiya Janata Party (BJP) | 97,692 | ~51.9% (Election Pandit) | Pravin Singh (INC) | ~18,300 वोट (https://www.oneindia.com/) |
| 2015 | Nand Kishore Yadav | BJP | 88,108 | ~46.89% (Election Pandit) | Santosh Mehta (RJD) | ~2,792 वोट (Election Pandit) |
| 2010 | Nand Kishore Yadav | BJP | 91,419 | ~68.07% (Result University) | Parvej Ahmad (INC) | ~65,337 वोट (Result University) |
ट्रेंड नोट्स:
- BJP के Nand Kishore Yadav ने लगातार तीन चुनावों (2010, 2015, 2020) इस सीट से जीत हासिल की है।
- 2010 में उनकी जीत बहुत मजबूत थी (~68% वोट शेयर व ~65 हजार वोट अन्तर) लेकिन 2015 में वोट शेयर तथा मुत्तलब अन्तर काफी घट गया था, यानी मुकाबला बहुत करीबी हुआ था।
- 2020 में फिर वोट शेयर बढ़ा (~52%) व अन्तर बढ़कर ~18,300 हुआ — दर्शाता है कि BJP की स्थिति थोड़ी बेहतर हुई थी।
- इन आंकड़ों से यह संकेत मिलता है कि यह सीट उभारा हुआ मुकाबला क्षेत्र है — जहाँ प्रतिद्वंद्विता होती रही है, विशेषकर 2015 में।
मतदाताओं व वोटिंग ट्रेंड के कुछ अन्य बिंदु
- इस विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या (इलेक्टर्स) 2020 में लगभग 3,60,318 थी। (Result University)
- इस क्षेत्र में सामाजिक-वर्ग जैसे ब्राह्मण, भूमिहार, कायस्थ, राजपूत, यादव, कुर्मी आदि मौजूद हैं — जिससे यह सीट विभिन्न जातीय-समूहों के समीकरण वाली मानी जा सकती है। (Election Pandit)
- परिणाम बताते हैं कि सीट काफी शहरी/नगर-क्षेत्र की पृष्ठभूमि वाली है (पटना जिले में होने के कारण), जहाँ स्थानीय विकास, नगर-इन्फ्रास्ट्रक्चर, सुविधा-उपलब्धता जैसे मुद्दे महत्वपूर्ण हैं।
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