Newsbabaji – हाल ही में एक तीखी राजनीतिक बहस छिड़ी है जिसमें अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और चीन पर आरोप लगाये कि वे रूस-यूक्रेन युद्ध को वित्तीय रूप से समर्थन कर रहे हैं। इन दावों के बीच, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने सामने आकर भारत की ओर से विवाद का जवाब दिया। उन्होंने कहा कि “भारत ज्यादातर हमारे साथ है”, और ट्रंप के आरोपों को “गलतफहमी आधारित” बताया।

ट्रंप के आरोप: क्या कहा गया था?
डोनाल्ड ट्रंप ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा कि भारत और चीन “रूसी तेल खरीदकर” युद्ध को वित्तीय समर्थन दे रहे हैं। उनके शब्दों में, ये देश युद्ध को आर्थिक रूप से सहयोग कर रहे हैं — “primary funders” — और उन्हें इस कार्रवाई को बंद करना चाहिए। यह आरोप अमेरिकी नीतियों और अंतरराष्ट्रीय दबाव की रणनीति का हिस्सा माना गया। ( Zelensky India defense against Trump accusations* भारत ट्रंप युद्ध फंडिंग आरोप 2025)
कुछ विश्लेषकों ने यह भी लिखा है कि ट्रंप की यह टिप्पणी भारत पर एक स्पष्ट संदेश थी कि रूस से ऊर्जा और व्यापार संबंधों को कम किया जाए।
जेलेंस्की का जवाब: भारत “अलग” नहीं, हमारे साथ है
रूस-यूक्रेन युद्ध की जटिल कूटनीति में जेलेंस्की ने साहसपूर्वक कदम उठाया:
* उन्होंने कहा कि भारत *“mostly हमारे साथ है”* — अर्थात्, भारत अधिकतर समय यूक्रेन के पक्ष में रहा है।
* उन्होंने स्वीकार किया कि ऊर्जा संबंधी कुछ मुद्दे जटिल हैं, लेकिन उनका मानना है कि भारत अपनी नीति को बदल सकता है।
* साथ ही, जेलेंस्की ने यूरोपीय देशों से आग्रह किया कि वे भारत के साथ संबंधों को और मजबूत करें — उसे अलग करने की बजाय। उन्होंने चीन की भूमिका पर भी टिप्पणी की — कहा कि चीन के लिए यह आसान नहीं है कि वह रूस के सहयोग से दूरी बनाए, क्योंकि “आज उनके हितों में रूस को साइड करना समर्थक है।
जेलेंस्की की यह प्रतिक्रिया न केवल भारत को बचाने का कदम था, बल्कि एक विशाल राजनयिक संकेत भी था कि यूक्रेन की रणनीति अधिक समेकित और बहुपक्षीय है।

भारत-यूक्रेन संबंध और अंतरराष्ट्रीय पृष्ठभूमि
भारत की निष्पक्ष नीति व चुनौतियाँ
भारत ने इस युद्ध में स्पष्ट रूप से एक निष्पक्ष और संतुलन (balanced) नीति अपनाई है। भारत ने कभी रूस की ओर पूरी तरह झुकाव नहीं दिखाया, न ही खुलकर रूस की आलोचना की। Wikipedia+1
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संयुक्त राष्ट्र की कुछ वोटिंग मामलों में भारत ने रूस को स्पष्ट समर्थन नहीं दिया, बल्कि कई प्रस्तावों पर abstain किया। Wikipedia
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साथ ही, भारत-रूस पारंपरिक संबंध और रक्षा, ऊर्जा सहयोग लम्बे समय से मजबूत रहे हैं, जिन्हें अचानक बदलना आसान नहीं है।
यूरोपीय और अमेरिकी दबाव
पश्चिमी देशों ने भारत पर दबाव बढ़ाया है कि वह रूस से ऊर्जा संबंध कटे। ट्रंप की टिप्पणियाँ इसी दबाव का हिस्सा मानी जा सकती हैं। Reuters+2www.ndtv.com+2
जेलेंस्की ने खुद भी यह सुझाव दिया कि यूरोपीय देश भारत के साथ अपनी कूटनीतिक नीतियों को और सुदृढ़ करें ताकि वह पश्चिमी ध्रुव की ओर झुकाव महसूस करे। (Zelensky message to Europe about India)
विश्लेषण: इस घटना का महत्व
1. **कूटनीतिक संतुलन की परीक्षा**
जेलेंस्की का भारत को समर्थन देना संकेत करता है कि यूक्रेन पश्चिमी समर्थन के साथ-साथ गैर-पाश्चिमी भारत जैसे देशों को महत्व देता है। यह एक रणनीति है कि युद्ध को वैश्विक मोर्चेबंदी में सीमित नहीं रखा जाए। (Zelensky India defense Trump accusations”)
2. **भारत का बहुआयामी कूटनीतिक रोल**
इस बयान से भारत को अग्रिम पंक्ति में रखा गया — एक ऐसा देश जिसे न सिर्फ संरक्षण देना है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में एक सक्रिय भूमिका निभानी है।
3. **अमेरिका-भारत तनाव**
ट्रंप के आरोपों से यह स्पष्ट होता है कि अमेरिका भारत पर रणनीतिक दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है। जेलेंस्की का जवाब इस दबाव को पार करने की कोशिश है।
4. **रूस-चीन-भारत त्रिकोण**
चीन को लेकर जेलेंस्की की टिप्पणी यह संकेत देती है कि रूस-चीन कॉम्बिनेशन अलग तरीके से काम करता है। भारत की भूमिका चीन की तुलना में अलग तरह से विकसित हो सकती है।
5. **विश्व राजनीति और ऊर्जा नीतियाँ**
यह घटना ऊर्जा नीतियों, तेल आयात और आर्थिक दबावों से जुड़ी है। प्रत्येक देश को यह तय करना होगा कि वह किस दिशा में झुके — सुरक्षा, ऊर्जा, या राजनयिक समर्थन।
सुझाव एवं भविष्य दृष्टिकोण
* भारत को चाहिए कि वह अपनी कूटनीति और संवाद को अधिक सक्रिय रूप से विदेश नीति मंचों पर प्रस्तुत करे, यह दिखाते हुए कि उसकी नीति निष्पक्ष है।
* ऊर्जा क्षेत्र में वैकल्पिक स्रोतों (Renewable energy, पश्चिमी स्रोत, ऊर्जा सुरक्षा) पर काम करना चाहिए ताकि रूस पर निर्भरता कम हो सके।
* भारत और यूक्रेन को द्विपक्षीय सहयोग और संवाद बढ़ाना चाहिए — व्यापार, शिक्षा, रक्षा क्षेत्रों में विस्तार हो।
* मीडिया और सामान्य जनता को समझाना चाहिए कि एक देश की नीति कई हितों का संतुलन होती है — इसलिए ऐसी बयानबाज़ी को अधिक समझदारी से देखें।
डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर युद्ध फंडिंग करने का आरोप लगाने के बाद, वोलोदिमिर जेलेंस्की का अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का बचाव करना एक महत्वपूर्ण मोड़ था। उन्होंने न सिर्फ आरोपों को खारिज किया बल्कि भारत को “हमारे साथ” बताकर एक बड़ा संदेश दिया।
यह घटना यह दर्शाती है कि 21वीं सदी की अंतरराष्ट्रीय राजनीति अब सीधी मोर्चेबाज़ी (bipolar) तक सीमित नहीं— बल्कि बहुआयामी गठबंधनों, ऊर्जा नीति, कूटनीति और पब्लिक इमेज की लड़ाई है। भारत को इसकी भूमिका को समझदारी से संभालना होगा।

