नई दिल्ली 13 Oct 2025 – भारत की राजनीति में घोटालों का सिलसिला नया नहीं है इसका इतिहास बहुत पुराना है और कई नए मामलों से भरा हुआ है , लेकिन हाल के वर्षों में एक ऐसा मामला बार-बार सुर्खियों में आया है — IRCTC घोटाला। यह मामला सिर्फ रेलवे की संपत्ति या टेंडर तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें राजनीतिक हस्तियों के नाम भी जुड़े हुए हैं। आइए जानते हैं कि आखिर यह घोटाला क्या है, कैसे हुआ, और क्यों यह फिर से चर्चा में है।
IRCTC घोटाला क्या है?
IRCTC घोटाला (Indian Railway Catering and Tourism Corporation Scam) साल 2004 से 2009 के बीच का है, जब लालू प्रसाद यादव भारतीय रेल मंत्री थे। उस समय IRCTC ने बिहार के रांची और पुरी स्थित दो रेलवे होटलों के संचालन का ठेका निजी कंपनियों को देने का निर्णय लिया था।
आरोप है कि इन ठेकों को देने के बदले में लालू यादव और उनके परिवार से जुड़ी कंपनियों को जमीनें सस्ते दामों पर दी गईं। कहा गया कि रेलवे होटल टेंडर देने में भ्रष्टाचार और नियमों का उल्लंघन हुआ, जिससे सरकारी संपत्ति का दुरुपयोग किया गया।
मामले की शुरुआत कैसे हुई?
यह मामला सबसे पहले 2017 में CBI द्वारा दर्ज किया गया। उस समय CBI ने FIR में लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेटे तेजस्वी यादव, और अन्य कई अधिकारियों के नाम दर्ज किए।
CBI के अनुसार, होटल के ठेके देने में अनियमितता हुई और इसके बदले में पटना की एक प्रॉपर्टी को घूस के तौर पर लिया गया। यह जमीन लारा प्रोजेक्ट्स नामक कंपनी के नाम पर रजिस्टर कराई गई थी, जो लालू परिवार से जुड़ी बताई जाती है।
CBI और ED की कार्रवाई
CBI द्वारा जांच शुरू करने के बाद मामला प्रवर्तन निदेशालय (ED) के पास भी गया। ED ने मनी लॉन्ड्रिंग के एंगल से जांच शुरू की।
जांच में पाया गया कि ठेके देने और जमीन ट्रांसफर के बीच कई बिचौलिए और शेल कंपनियां काम में लाई गईं।
इन एजेंसियों ने लालू परिवार की संपत्तियों की जांच की, कई बार पूछताछ की गई और चार्जशीट भी दाखिल की गई।
तेजस्वी यादव और लालू यादव का पक्ष
लालू यादव और उनका परिवार लगातार इस घोटाले में अपनी निर्दोषता का दावा करते आए हैं।
लालू यादव का कहना है कि यह मामला राजनीतिक साजिश के तहत रचा गया है ताकि उन्हें और उनके परिवार को बदनाम किया जा सके।
तेजस्वी यादव ने कहा कि, “जब मैंने राजनीति में कदम रखा, तभी से मेरे परिवार को फंसाने की कोशिशें हो रही हैं। जनता सच्चाई जानती है।”
हाल ही में दिल्ली की एक अदालत ने इस मामले में लालू यादव और राबड़ी देवी समेत कई आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने की प्रक्रिया तेज करने के निर्देश दिए हैं।साथ ही, आगामी बिहार विधानसभा चुनाव से पहले यह मामला फिर से राजनीतिक बहस का केंद्र बन गया है।भाजपा और जदयू जैसे विपक्षी दल इसे भ्रष्टाचार का प्रतीक बताकर जनता के बीच उठा रहे हैं, जबकि राजद इसे साजिश बता रही है।
