भारत के सेना प्रमुख, जनरल Upendra Dwivedi ने एक सार्वजनिक अवसर पर बहुत सीधे शब्दों में चेतावनी दी है कि भारत-पाक सीमा पर हालिया कार्रवाई यानी ऑपरेशन सिंदूर केवल एक शुरुआत (ट्रेलर) थी। उन्होंने कहा कि यदि पाकिस्तान (Pakistan) ने पुनः कार्रवाई का मौका दिया तो भारतीय सशस्त्र बल ज़ितनी सख्ती से जरूरत पड़ेगा, उतनी करेंगे।
वे यह बयान Chanakya Defence Dialogue के उद्घाटन सत्र में बोलते हुए दे रहे थे, जहाँ उन्होंने कहा कि अब भारत की सेना आधुनिक बहु-क्षेत्रीय युद्ध (multi-domain warfare) की मांग के अनुरूप खुद को तैयार कर चुकी है।
- ऑपरेशन सिंदूर को उन्होंने “88-घंटे का ट्रेलर” कहा, जो संकेत है कि असली कार्रवाई अभी आगे है।
- उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में निर्णय लेने का समय बहुत कम है — पुरानी तरह से “दिनों में फैसला” नहीं हो सकता।
- उन्होंने बल-केंद्रित रणनीति, बलों की एकता (इंटीग्रेशन) और मज़बूत रसद-सप्लाई श्रृंखला को सुरक्षित रखने की अहमियत पर बल दिया।
- उनके मुताबिक, भारत और पाकिस्तान के बीच अब “सपोर्टेड आतंकवाद” (state-sponsored terrorism) को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा — यदि ऐसा हुआ तो जवाब मिलेगा।
- उन्होंने जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा हालात में सुधार का हवाला दिया, यह बताने के लिए कि सेना तैयार है।
पृष्ठभूमि
- ऑपरेशन सिंदूर भारत द्वारा की गई सीमा पार आतंकवादी ठिकानों व नेटवर्कों पर कार्रवाई का नाम है, जिसका मकसद भारत के आंतरिक सुरक्षा को बढ़ाना एवं आतंकवाद-प्राय राज्य-गत समर्थन (state sponsored terror) को रोकना था।
- इस चेतावनी के तत्काल बाद, पाकिस्तान-भारत के रिश्तों में तनाव की स्थिति बनी हुई है, विशेषकर सीमा पर और आतंकवाद विरोधी अभियानों के सिलसिले में।
- इस तरह के बयानों का उद्देश्य न सिर्फ वास्तविक कार्रवाई बल्कि प्रतिद्वंद्वी को नियंत्रित करने का मनोवैज्ञानिक प्रभाव देना भी होता है — ताकत दिखाना कि यदि सीमाओं का उल्लंघन हुआ तो बड़े पैमाने पर जवाब संभव है।
संभावित प्रभाव
- इस तरह की सेना-प्रमुख द्वारा दिए गए बयान से यह संदेश जाता है कि भारत ने अब स्वयं पर हमला नहीं होने तक हाथ बांधे खड़े नहीं रहेगा; प्रतिचालना (deterrence) की दिशा में बढ़िया संकेत है।
- पाकिस्तान के सामने यह चेतावनी एक दबाव के रूप में काम कर सकती है — चाहे सीमापार दर्ज़ाओं पर, चाहे आतंकवादी गतिविधियों के सपोर्ट के मामले में।
- घरेलू राजनीति व रक्षा नीति-दृष्टि से भी यह महत्वपूर्ण है क्योंकि यह दिखाता है कि भारत ने अपनी रणनीतिक स्थिति (strategic posture) मजबूत-कर ली है, और अब “शांति” के समय को बहुसंख्य मौन अवधि नहीं माना जा रहा।
- हालांकि, इस तरह के बयान सुनने में तो शक्तिशाली लगते हैं, पर असली परीक्षा कार्रवाई और उसकी वैधता (legal, geopolitical, मानवाधिकार सम्बन्धी) की होगी। यदि जवाबी कार्रवाई हुई तो उसकी समय-सीमा, उद्देश्य, एवं न्यायसंगतता पर διε-राष्ट्रीय दृष्टिकोण से निगाहें होंगी।
सेना प्रमुख का यह बयान इस बात-का संकेत है कि भारत अब सीमा एवं आतंकवाद-सम्बंधित मामलों में अधिक सक्रिय रूप से आगे बढ़ने को तैयार है। “ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ ट्रेलर था” जैसे शब्द बतलाते हैं कि असली गति अभी आनी है — यह प्रतिद्वंद्वी को चेतावनी है कि यदि सीमा उल्लंघन हुआ या आतंक-सपोर्ट जारी रहा, तो भीड़-भरी कार्रवाई संभव है। लेकिन साथ ही यह ध्यान देने योग्य है कि ऐसी कार्रवाई का संतुलन रणनीतिक, कूटनीतिक और अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुरूप होना भी ज़रूरी होगा।

