नई दिल्ली — 4–5 दिसंबर 2025 को रूस के राष्ट्रपति Vladimir Putin के भारत दौरे ने एक बार फिर से यह साबित कर दिया कि भारत-रूस का रिश्ता केवल कूटनीतिक आदान-प्रदान नहीं, बल्कि समय के साथ गहराता हुआ रणनीतिक गठबंधन है। इस दौरे के दौरान, भारत और रूस ने मिलकर कई अहम समझौते किए, और आने वाले सालों के लिए आर्थिक, रक्षा, ऊर्जा और अन्य सेक्टरों में व्यापक सहयोग का रोडमैप तय किया।
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100 बिलियन डॉलर व्यापार का लक्ष्य
दोनों देशों ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया है — जोकि 2024–25 में 68.7 बिलियन डॉलर के रिकॉर्ड स्तर से आगे का बड़ा कदम है।
इसके लिए नए आर्थिक सहयोग प्रोग्राम्स, व्यापार वृद्धि, निर्यात-आयात को विविध करना, और नई साझेदारियाँ स्थापित करना शामिल है।
ऊर्जा, ईंधन और निरंतर आपूर्ति को लेकर भरोसा
रूस ने भारत की तीव्र विकासशील अर्थव्यवस्था और ऊर्जा-आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए ऐलान किया है कि वह भारत को तेल एवं गैस की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करेगा।
इससे भारत को वैश्विक ऊर्जा अस्थिरता के बीच अपनी आर्थिक और औद्योगिक गतिविधियाँ सुरक्षित रखने में मदद मिलेगी।
रक्षा एवं लॉजिस्टिक्स में गहरी साझेदारी
भारत-रूस रक्षा सहयोग लंबे समय से दोनों देशों का मजबूत स्तंभ रहा है। इस बार, दोनों ने साझा रक्षा उत्पादन, टेक्नोलॉजी ट्रांसफर, और लॉजिस्टिक्स सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए भी आवश्यक कदम उठाए।
यह साझेदारी भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता (Atmanirbhar Bharat) की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
रोजगार, श्रमिकों की आवाजाही और मानव संसाधन सहयोग
इस दौर की वार्ताओं में यह बात सामने आई कि रूस भारत से कुशल श्रमिकों को नियुक्त करने की इच्छुक है। इसके लिए दोनों देशों ने श्रमिकों की आवाजाही, वैध रोजगार, और लॉजिस्टिक सपोर्ट से संबंधित समझौतों पर हस्ताक्षर किए।
यह पहल न सिर्फ आर्थिक साझेदारी को मज़बूत बनाएगी, बल्कि भारत में रोजगार के नए अवसर भी खोलेगी।
एक स्थिर, दीर्घकालीन और विश्व-प्रभावी साझेदारी
पुतिन का यह दौरा, और उससे निकले समझौते, दिखाते हैं कि भारत और रूस ने 25 साल पुरानी अपनी “Special & Privileged Strategic Partnership” को नई ऊँचाइयों पर ले जाने का मन बना लिया है।
इस गठबंधन के जरिए न सिर्फ आर्थिक और रक्षा मोर्चे मजबूत होंगे, बल्कि ऊर्जा सुरक्षा, मानव संसाधन, व्यापार विविधीकरण और वैश्विक रणनीतिक संतुलन में भारत की स्थिति और मज़बूत होगी।
वैश्विक भू-राजनीतिक जटिलताओं के बीच — जहाँ कई देश India–Russia तालमेल को लेकर सवाल उठा रहे थे — यह दौरा और समझौतों ने स्पष्ट कर दिया है कि दोनों देश अपनी साझेदारी को स्थिर, पारदर्शी और दोनों-तरफा फायदों वाले भविष्य की ओर ले जाना चाहते हैं।
