वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 (Waqf Amendment Act 2025) के कुछ प्रावधानों के विरोध में सुप्रीम कोर्ट में पांच याचिकाएँ दर्ज की गई थीं। चीफ जस्टिस बी.आर. गवई की बेंच ने इन याचिकाओं की सुनवाई करते हुए कई बदलावों पर रोक लगाई है। इस लेख में हम बताते हैं कि किन-किन प्रावधानों पर कोर्ट ने निर्णय लिया है और Waqf Act 2025 में अब क्या बदलेगा।

🔍 सुप्रीम कोर्ट का फैसला — मुख्य बिंदु

नीचे वो महत्वपूर्ण बदलाव हैं जो सुप्रीम कोर्ट ने लागू करने या रोक लगाने का फैसला किया है:

प्रावधान पहले जैसा (Original in Waqf Amendment Act 2025) सुप्रीम कोर्ट का निर्णय / बदलाव
1. वक्फ बोर्ड का सदस्य बनने की योग्यता अधिनियम में तय था कि बोर्ड का सदस्य बनने के लिए धार्मिक विश्वास (इस्लाम धर्म) का पालन कम-से-कम 5 वर्ष होना चाहिए। सर्वोच्च न्यायालय ने इस प्रावधान पर रोक लगाई है। अभी के लिए राज्य सरकार को इस तरह की शर्त लागू करने से पहले उचित नियम बनाना होगा।
2. वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों की संख्या अधिनियम में प्रस्ताव था कि वक्फ बोर्ड के 11 सदस्यों में गैर-मुस्लिम सदस्य भी शामिल हों। कोर्ट ने तय किया कि बोर्ड में 3 से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं हो सकते और केंद्रीय वक्फ परिषद (Central Waqf Council) में भी अधिकतम 4 गैर-मुस्लिम सदस्य हो सकते हैं। साथ ही, संभव हो तो CEO मुस्लिम सदस्य को बनाया जाए।
3. जिला कलेक्टर की शक्तियाँ अधिनियम यह देता था कि वक्फ संपत्ति पर अतिक्रमण की स्थिति में, यह निर्धारित करना कि संपत्ति सरकारी है या निजी, जिला कलेक्टर का अधिकार होगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रावधान को रोक दिया है। कहा गया है कि यह नागरिकों के व्यक्तिगत अधिकारों पर हस्तक्षेप होगा और Separation of Power के सिद्धांत का उल्लंघन है।

कानून कब बना और प्रक्रिया

  • वक्फ (संशोधन) बिल 2025 को संसद के बजट सत्र में दोनों सदनों (लोकसभा + राज्य सभा) में बहुमत से पारित किया गया।

  • लेकिन इस कानून को लागू करने से पहले सुप्रीम कोर्ट ने यह सुनिश्चित किया है कि कुछ प्रावधान संवैधानिक समीक्षा से गुजरें।

    क्या नहीं बदला

    • सुप्रीम कोर्ट पूरे अधिनियम को रद्द नहीं कर रही; सिर्फ़ कुछ प्रावधानों पर रोक लगाई गई है।

    • अधिनियम का मूल उद्देश्य और बाकी प्रावधान वैध बने रहेंगे जब तक कि कोर्ट या राज्य सरकार द्वारा तय न हो।

सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 के कुछ विवादित प्रावधानों पर रोक लगाते हुए यह सुनिश्चित किया है कि नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन न हो और संवैधानिक सिद्धांतों का सम्मान हो।

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