पानीपत (हरियाणा) — इस वर्ष की दीवाली पर पानीपत नगर परिषद ने एक अनूठी पहल की है। शहर के वार्डों में 20–20 रुपये के LED बल्ब वितरण की योजना बनाई गई है ताकि हर गली, चौक और वार्ड दीवाली की रोशनी से जगमगाए। यह निर्णय सामाजिक और सांकेतिक रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि इससे छोटे स्थानीय परिवारों को राहत मिल सकती है और शहर का सौंदर्य भी बढ़ेगा।
योजना की मुख्य बातें
नगर परिषद ने पहले ही LED बल्बों का टेंडर जारी कर दिया है।प्रत्येक पार्षद को 20-20 बल्ब वितरित किए जाएंगे ताकि वे उन्हें अपने-अपने वार्डों में लगाएंगे। शहर में कुल 17 वार्ड हैं, और पहले भी परिषद ने 44-44 बल्ब दिया था, लेकिन वे पूरी तरह नहीं लगाए गए थे। पार्षदों को बल्ब लगाने की लोकेशन और जानकारी नगर परिषद को देने की बात कही गई है, ताकि कर्मचारी उसका मुआयना कर सकें और स्थापना की पुष्टि हो सके। रेलवे रोड सहित कुछ प्रमुख इलाकों में अभी तक LED लाइट लगाने का काम शुरू नहीं हुआ है।
यह पहल मुख्य रूप से चार उद्देश्यों की पूर्ति करती है: शहर की सड़कों को सुरक्षित और रोशन रखना, गरीब और मध्यवर्गीय परिवारों को आर्थिक बोझ से बचाना, स्थानीय प्रतिनिधियों की भूमिका में सक्रियता बढ़ाना, और दीवाली त्योहार को समृद्ध और उज्जवल बनाना।
टेंडर और वितरण
LED बल्बों का टेंडर पहले ही जारी किया गया है। इस टेंडर में प्रतिष्ठित विक्रेताओं से बल्ब संपर्क करना, गुणवत्ता जाँचना और डिलीवरी सुनिश्चित करना शामिल है। पार्षदों को बल्ब दिए जाएंगे, और वे तय करेंगे कि कौन सी गलियों या चौक में पहले लगाना है। इसके लिए पार्षदों से लोकेशन की जानकारी ली जाएगी।
वार्डों में स्थापना
वार्ड स्तर पर इसे लागू करना चैलेंज हो सकता है। कभी-कभी पार्षदों ने पहले दिए गए बल्ब लगाए नहीं थे या टेंडर प्रक्रिया में देरी हुई थी। इस बार यह सुनिश्चित करना होगा कि बल्ब समय से और सही स्थानों पर लगें।
बिजली और मेंटेनेंस
बल्ब लगाने के बाद बिजली सप्लाई और रखरखाव सुनिश्चित करना आवश्यक होगा। बल्ब खराब होने पर उन्हें बदलने या मरम्मत करने की व्यवस्था पहले से होनी चाहिए।
पारदर्शिता और निगरानी
नगर परिषद को पारदर्शी प्रक्रिया अपनानी होगी। मानक गुणवत्ता, वितरण रसीदें, स्थापना की तस्वीरें आदि सब रिकॉर्ड किए जाने चाहिए। सार्वजनिक शिकायत निवारण का भी तंत्र होना चाहिए।
जोखिम एवं सुधार बिंदु
- यदि वितरण देर हुई या बल्बों की गुणवत्ता कम हो, तो जनता में असंतोष हो सकता है।
- बिजली व्यवस्था व रखरखाव न हो तो बल्ब जल्दी खराब हो सकते हैं।
- वेरिफिकेशन प्रक्रिया यदि कमजोर हो, तो कुछ इलाकों में बल्ब न लगे।
- पारदर्शिता न हो तो भ्रष्टाचार की संभावना।
इन चुनौतियों के लिए सुझाव:
- वितरण को समय पर करें
- बल्ब की गुणवत्ता सुनिश्चित करें
- समय-समय पर निरीक्षण करें
- शिकायत हेल्पलाइन बनाएँ
- सार्वजनिक निगरानी व फीडबैक प्रणाली अपनाएँ
