पटना (बिहार): राज्य के ऊर्जा विभाग ने बड़ा फैसला लेते हुए निर्देश जारी किया है कि अब मंत्री, सांसद, विधायक समेत सभी सरकारी पदाधिकारियों को अपना बिजली बिल पहले भरना होगा, तभी उन्हें बिजली आपूर्ति जारी रखी जाएगी। विभाग ने साफ कर दिया है कि बकाया रहने पर कनेक्शन काटा जा सकता है।
नया नियम क्या कहता है?
- बिहार बिजली विभाग ने स्पष्ट किया है कि किसी भी उपभोक्ता को, चाहे वह आम नागरिक हो या जनप्रतिनिधि — बिल भुगतान से छूट नहीं मिलेगी।
- नियम के अनुसार सभी उपभोक्ताओं को समय पर भुगतान करना अनिवार्य है।
- बकाया राशि पर कनेक्शन काटने की कार्रवाई की जाएगी और बकाया की वसूली तय समय में की जाएगी।
इस कदम का उद्देश्य
बिजली विभाग का कहना है कि यह कदम राज्य की वित्तीय स्थिति सुधारने और वितरण प्रणाली को पारदर्शी बनाने के लिए लिया गया है। वर्षों से कई सरकारी दफ्तरों और जनप्रतिनिधियों के बिजली बिल बकाया चल रहे हैं। यह नीति उन पर भी लागू होगी, जिससे “समानता और जवाबदेही” सुनिश्चित हो सके।
विश्लेषण
यह निर्णय बिहार में जवाबदेही और प्रशासनिक पारदर्शिता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। कई बार मंत्री और सांसद अपने राजनीतिक प्रभाव के चलते बिल भुगतान टालते रहे हैं। अब यह नीति सुनिश्चित करेगी कि सभी नागरिकों की तरह नेताओं को भी नियमों का पालन करना होगा।
हालांकि, वास्तविक चुनौती इस नियम को निष्पक्ष रूप से लागू करने की होगी। क्या वाकई बड़े पदाधिकारियों के कनेक्शन काटे जाएंगे? या यह नीति केवल घोषणा बनकर रह जाएगी — यह आने वाला समय बताएगा।
ऊर्जा विभाग का यह कदम न केवल प्रशासनिक सख़्ती का प्रतीक है, बल्कि यह संदेश भी देता है कि अब कोई भी कानून से ऊपर नहीं है। यदि इसे ईमानदारी से लागू किया गया तो बिहार में बिजली वितरण प्रणाली और राजस्व दोनों को लाभ होगा।
