नई दिल्ली, 20 सितंबर 2025 — भारत सरकार ने अमेरिका में H-1B वीज़ा शुल्क (fee) में प्रस्तावित वृद्धि पर विदेश मंत्रालय (MEA) के प्रवक्ता रंधिर जायसवाल के माध्यम से अपनी प्रतिक्रिया दर्ज कराई है। भारत को उम्मीद है कि अमेरिका इस निर्णय के मानवीय (humanitarian) प्रभावों को ध्यान में लेकर कदम उठाएगा ताकि इस नीति से प्रभावित लोगों, विशेषकर परिवारों, को उत्पन्न होने वाली चुनौतियों का समाधान किया जा सके।

क्या है प्रस्तावित बदलाव?
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन ने H-1B वीजा कार्यक्रम में बड़ी शुल्क वृद्धि प्रस्तावित की है। इस प्रस्ताव के अनुसार, नई / फिर से आवेदन करने वालों पर अमेरिका-बाहिर से आवेदन करने वाले कर्मचारियों के लिए अर्ज़ी शुल्क में उल्लेखनीय वृद्धि की जाएगी।
- नए नियमों के मुताबिक आवेदन करने वाली कंपनी को $100,000 की अतिरिक्त वार्षिक शुल्क अदा करनी होगी। इस निर्णय का मकसद विदेशी वर्कर्स द्वारा वीज़ा कार्यक्रम के संभावित दुरुपयोग (misuse) को रोकना बताया जा रहा है।
भारत की चिंता: मानवता और प्रभाव
MEA प्रवक्ता रंधिर जायसवाल ने बताया है कि—
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सरकार ने इस प्रस्तावित नीति के रिपोर्ट्स देखे हैं, और विभिन्न उद्योगों ने भी विश्लेषण शुरू कर दिया है ताकि यह स्पष्ट हो सके कि यह निर्णय किन-किन धाराओं पर और किस तरह से लागू होगा।
- भारत सरकार का मानना है कि इस तरह की वृद्धि से परिवारों में खलल पड़ेगा, विशेष रूप से उन भारतीय वर्कर्स के परिवारों को जो अमेरिका में हैं या विदेश से आने वाले हैं।
- भारत इस बात की उम्मीद करता है कि अमेरिकी प्राधिकारियों द्वारा इन मानवीय (humanitarian) प्रभावों को दृष्टिगत रखते हुए निर्णयों को संशोधित या सामंजस्यपूर्ण बनाया जाए।
प्रस्तावित सुधार और छूट (Exemptions) की संभावनाएँ
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कुछ सेक्टरों में या कुछ श्रेणियों के लिए इस बढ़ी हुई शुल्क से छूट दिए जाने की संभावना है, जैसे कि स्वास्थ्य (healthcare), विज्ञान-अध्ययन (STEM research), और अनुसंधान संस्थाएँ।
- वर्तमान H-1B होल्डर्स जिनका वीज़ा पहले से चल रहा है या जो पहले से अमेरिका में हैं, उन पर इस नए शुल्क का असर शायद सीमित होगा।
Our statement regarding restrictions to the US H1B visa program⬇️
🔗 https://t.co/fkOjHIxEu9 pic.twitter.com/1rM9W3GYqC— Randhir Jaiswal (@MEAIndia) September 20, 2025
इस निर्णय के संभावित व्यापक प्रभाव
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भारत-अमेरिका आर्थिक और तकनीकी संबंधों पर असर
H-1B वीज़ा कार्यक्रम भारतीय तकनीकी और सॉफ्टवेयर कंपनियों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि कई भारतीय पेशेवर इस वीज़ा के माध्यम से अमेरिका में काम करते हैं। शुल्क में वृद्धि से इन पेशेवरों की नियुक्तियाँ प्रभावित हो सकती हैं। - वर्कर्स और उनके परिवारों पर दबाव
जिन लोगों को अमेरिका में जाने के लिए H-1B वीज़ा लेना है, या जो विदेश से लौटने वाले हैं, उन पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा। इसके अलावा, वीज़ा नियमों में बदलाव से आव्रजन प्रक्रिया में देरी या अन्य बाधाएँ उत्पन्न हो सकती हैं। - कंपनियों की लागत में वृद्धि
फ़िर से आवेदन की स्थिति में कंपनियों के ऊपर अतिरिक्त खर्च होगा। छोटे व्यवसाय या स्टार्ट-अप इस बढ़ी हुई खर्च का सामना कठिनाई से कर सकते हैं। - प्रतिस्पर्धात्मकता में बदलाव
अन्य देशों की वीज़ा-नीतियाँ अधिक अनुकूल होने पर प्रतिभाशाली पेशेवर दूसरे देशों की ओर भी रुख कर सकते हैं—ऐसे में भारत के लिए नौकरी-पहुँच तथा वैश्विक संभावना पर असर हो सकता है।
सरकार की कार्रवाई और सुझाव
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भारत सरकार, विशेषकर विदेश मंत्रालय, इस मुद्दे पर अमेरिका से संवाद (dialogue) की प्रक्रिया जारी रखेगी।
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उद्योग संगठन और टेक्नोलॉजी कंपनियाँ प्रस्तावित नीति के प्रभावों का अध्ययन कर रही हैं ताकि सरकार को सटीक जानकारी मिल सके।
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सरकार यह सुनिश्चित करने की कोशिश करेगी कि नीति लागू होने पर इंसानी दृष्टिकोण (humane considerations) को नजरअंदाज न किया जाए, खासकर उन परिवारों को प्रभावित होने से बचाने के लिए जिनकी रोज़मरा की ज़िंदगी इस पर आधारित है।
H-1B वीज़ा शुल्क में प्रस्तावित वृद्धि एक बहुत बड़ा बदलाव है, जिसका प्रभाव न सिर्फ उन भारतीय पेशेवरों पर होगा जो अमेरिका में काम करना चाहते हैं, बल्कि उनके परिवारों, टेक्नोलॉजी उद्योगों और भारत-अमेरिका संबंधों पर भी पड़ेगा। MEA की प्रतिक्रिया इस बात का संकेत है कि भारत इस मुद्दे को सिर्फ़ एक नीति परिवर्तन के रूप में नहीं देख रहा, बल्कि इसके मानवीय, आर्थिक, और रणनीतिक पहलुओं को भी गंभीरता से ले रहा है। उम्मीद की जानी चाहिए कि अमेरिका इस बढ़ी हुई शुल्क और संबंधित नियमों को लागू करते समय प्रभावित पक्षों के हितों और चिंताओं का ध्यान रखेगा।
