New Delhi 12 Oct 2025- अमेरिका ने चीन पर नए शुल्क लगाए, चीन ने प्रतिशोध स्वरूप अपने उपायों की धमकी दी — जानिए इस व्यापार युद्ध से वैश्विक अर्थव्यवस्था पर क्या असर हो सकता है।
चीन और अमेरिका के बीच व्यापार तनाव (China-US Trade War) एक नए स्तर पर पहुँच गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने चीन पर नई टैरिफ (Tariffs) लगाने का निर्णय लिया, तो चीन ने तुरंत इसका प्रतिकार करते हुए विरोध के स्वर में कुछ कदम उठाने का संकेत दिया है। इस दोहरे हमले-प्रति-प्रतिक्रियात्मक चक्र ने न केवल दोनों देशों के बीच खटास बढ़ाई है, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी इसका दबाव दिखने लगा है।
इस “ट्रम्प टैरिफ नीति” (Trump Tariffs) और चीन की प्रतिक्रिया (Chinese Retaliation) ने निवेशकों और व्यापारियों में असमंजस बढ़ा दिया है। इस बीच बाज़ार में अनिश्चितता बनी हुई है कि अगले कदम क्या होंगे और इसे किस दिशा में ले जाया जाएगा।

ट्रम्प के टैरिफ: क्या कहा गया?
अमेरिका ने चीन की कुछ उच्च आयात वस्तुओं पर टैरिफ बढ़ाने की घोषणा की है — विशेष रूप से टेक्नोलॉजी, इलेक्ट्रॉनिक्स, और औद्योगिक सामानों पर। ट्रम्प प्रशासन का तर्क है कि इस कदम से चीन को “बाजार में अनुचित प्रतिस्पर्धा” से रोकना है और अमेरिका की घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देना है।
ये नए शुल्क न केवल वर्तमान व्यापार संतुलन को प्रभावित कर सकते हैं, बल्कि चीन से आयात की लागत बढ़ा सकते हैं, जिससे निश्चित तौर पर उपभोक्ता कीमतों (consumer prices) पर दबाव पड़ेगा।
चीन की प्रतिक्रिया: चीनी प्रतिशोध (Chinese Retaliation)
चीन ने इन टैरिफ्स को “अवैज्ञानिक और अनुचित” करार देते हुए चेतावनी दी है कि यदि अमेरिका ने यह स्थिति जारी रखी, तो वह कड़े कदम उठाने से पीछे नहीं हṭेगा। चीन ने संकेत दिया है कि वे अमेरिकी सामानों पर टैरिफ बढ़ा सकते हैं, कुछ आयातों पर प्रतिबंध लगा सकते हैं, या अनुदानों (subsidies) पर पुनर्विचार कर सकते हैं।
इसमें संभव है कि चीन कुछ अमेरिकी कृषि उत्पादों, वाहन या उर्जा सामग्री पर अपने शुल्क बढ़ाए या कुछ आयातों को पूरी तरह प्रतिबंधित करे। इस तरह की कार्रवाई व्यापार संघर्ष को और तीव्र बना सकती है।
वैश्विक अर्थव्यवस्था पर असर
इस व्यापार विवाद (trade dispute) के क्षेत्रीय और वैश्विक असर कई आयामों में दिखने लगे हैं:
निवेशकों की अनिश्चितता: शेयर बाजारों में उतार-चढ़ाव बढ़ गया है, क्योंकि व्यापार नीतियाँ निवेश निर्णयों को प्रभावित करती हैं।
आपूर्ति श्रृंखला संकट (Supply Chain Disruptions): चीनी हिस्सेदारी बहुत बड़ी है कई उद्योगों में — यदि टैरिफ बढ़े तो कंपनियों को नए स्रोत खोजने पड़ सकते हैं।
उपभोक्ता मूल्य वृद्धि: टैरिफ बढ़ने से आयातित सामानों की कीमतें बढ़ेंगी, जो उपभोक्ताओं पर बोझ बढ़ाएंगी।
विकास दर को दबाव: व्यापार तनाव विकास दर (GDP growth) पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है, क्योंकि निर्यात और आयात दोनों प्रभावित होते हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि ये टकराव लंबे समय तक बना रहता है तो इसके दुष्परिणाम व्यापक हो सकते हैं, विशेष रूप से उन देशों के लिए जो इन दोनों मझोले और बड़े बाजारों से जुड़े हुए हैं।
विश्लेषक और प्रतिक्रियाएँ
कुछ विशेषज्ञ कह रहे हैं कि यह टैरिफ श्रृंखला “तलाश-तलाश” युद्ध में बदल सकती है — जहां दोनों पक्ष धीरे-धीरे और अधिक कठोर कदम उठाते जाएंगे।
अन्य विश्लेषक इंगित करते हैं कि हाइक (टैरिफ वृद्धि) केवल नीति का हिस्सा है; असल युद्ध कूटनीति (diplomacy) और वैश्विक दबाव (global pressure) में होगा।
कई अर्थशास्त्रियों का यह भी मानना है कि सभी देशों को इस तनाव को नियंत्रित रूप से हल करना चाहिए, क्योंकि एक पूर्ण व्यापार युद्ध (full-blown trade war) विश्व अर्थव्यवस्था को गंभीर नुकसान पहुँचा सकता है।
