मोदी और शी की हाल की मुलाकात ने संकेत दिया है कि दोनों देशों के बीच तनाव धीरे-धीरे कम हो रहा है। अब पुनः सीधी उड़ानों, तीर्थयात्रा, वीजा, व्यापार, सीमा प्रबंधन और रणनीतिक तटस्थता जैसे कई क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने की दिशा में कदम बढ़ रहा है। दोनों पक्ष “द्विपक्षीय विवादों को बाधा न बनाएं” बल्कि “विश्वास और साझेदारी” पर भरोसा जताने को प्राथमिकता दे रहे हैं।
आसान भाषा में—भारत और चीन की मोदी-शी मीटिंग में क्या हुआ?
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खास मुलाकात
प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी चिनफिंग की मुलाकात शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक के दौरान तियानजिन में हुई। यह उनकी एक और महत्वपूर्ण चर्चा थी, जिसमें दोनों देशों ने कई मुद्दों पर बातें की। -
सीमा विवाद समाधन की कोशिश
दोनों नेताओं ने आपसी सीमा विवाद को सामाधान योग्य और न्यायसंगत समाधान से हल करने की इच्छा जताई। -
सीधी उड़ानें फिर से शुरू
कोविड-19 और 2020 के सीमा तनाव के बाद बंद हुई भारत–चीन की सीधी उड़ानों को दोबारा शुरू करने पर सहमति बनी, हालाँकि तारीख फिलहाल नहीं बताई गई। -
विश्वास और सम्मान की नींव पर आगे बढ़ने की प्रतिबद्धता
मोदी ने कहा कि द्विपक्षीय संबंधों को “विश्वास, सम्मान और संवेदनशीलता” पर आगे बढ़ाना चाहिए। -
दुश्मनी नहीं, सहयोग — ‘पार्टनर, न कि प्रतिद्वंद्वी’
शी ने कहा कि चीन और भारत प्रतिद्वंद्वी नहीं, बल्कि विकास के साझेदार हैं। सीमा विवाद को पूरे संबंधों की परिभाषा नहीं बनने देना चाहिए। -
तीसरे पक्ष का प्रभाव नहीं
मोदी ने यह स्पष्ट किया कि दोनों देशों के संबंधों को तीसरे देश के नज़रिए से नहीं देखा जाना चाहिए। -
व्यापार घाटा और व्यापार बढ़ाने की बात
भारत ने चीन के साथ व्यापार घाटा कम करने और द्विपक्षीय व्यापार-निवेश को बढ़ावा देने की दिशा में बातचीत का समर्थन किया। -
चौतरफा सहयोग और वैश्विक चुनौतियाँ
दोनों नेताओं ने आतंकवाद जैसे वैश्विक मुद्दों पर मिलकर काम करने और बहुपक्षीय मंचों पर एकजुटता की ओर बढ़ने पर सहमति जताई। -
सीमाओं पर शांति बरकरार
कज़न की पिछली मुलाकात के बाद सीमा पर शांति और स्थिरता बनी हुई है, इस माहौल को बनाए रखने पर जोर दिया गया। -
विजिट का प्रसंग और अपेक्षित असर
यह मोदी का सात साल में चीन का पहला दौरा था। इस बैठक ने कूटनीतिक संबंधों को नई दिशा देने की संभावनाओं को मजबूत किया।