(Pushpa Chauhan)- विश्वकर्मा पूजा भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो विशेष रूप से उन लोगों द्वारा मनाया जाता है जो इंजीनियरिंग, निर्माण, और उद्योग से जुड़े हुए हैं। यह पूजा भगवान विश्वकर्मा, जो सभी शिल्प और निर्माण के देवता माने जाते हैं, के सम्मान में मनाई जाती है। इस पूजा का उद्देश्य कामकाजी उपकरणों, मशीनों और कार्यस्थलों की सुरक्षा और सफलता की कामना करना है।
भगवान विश्वकर्मा का महत्व
भगवान विश्वकर्मा को शिल्पकारों, वास्तुकारों और कारीगरों का patron deity माना जाता है। हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार, विश्वकर्मा ने स्वर्ग के विभिन्न भवनों, इंद्र के महल, और अन्य महत्वपूर्ण संरचनाओं का निर्माण किया। उन्हें ‘सृष्टिकर्ता’ के रूप में भी जाना जाता है, जो सभी प्रकार की कलाओं और शिल्पों में दक्ष हैं। उनका नाम सुनते ही कामकाजी और कारीगर वर्ग के लोगों के मन में श्रद्धा और सम्मान उमड़ आता है।
पूजा का महत्व
विश्वकर्मा पूजा का उद्देश्य केवल धार्मिक आस्था तक सीमित नहीं है, बल्कि यह श्रमिकों और उद्योगों के प्रति सम्मान प्रकट करने का एक माध्यम है। इस दिन, श्रमिक अपने औजारों और मशीनों की पूजा करते हैं, जिससे उनकी मेहनत और कार्य की सुरक्षा की कामना होती है। यह कार्यस्थल पर सकारात्मक ऊर्जा और समर्पण का संचार करता है, जिससे काम में कुशलता और सफलता बढ़ती है।
श्वकर्मा पूजा न केवल एक धार्मिक उत्सव है, बल्कि यह हमारे समाज के उन मेहनती लोगों की मेहनत और कुशलता को मान्यता देने का भी एक तरीका है, जो निर्माण और उद्योग के क्षेत्र में काम कर रहे हैं। यह पूजा हमें यह याद दिलाती है कि मेहनत, समर्पण, और भगवान की कृपा से हम अपने कार्यों में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। इस अवसर पर श्रद्धा और भक्ति के साथ की गई पूजा निश्चित रूप से सकारात्मक परिणाम देती है।