New Delhi – पाकिस्तान की सरकार ने एक महत्त्वपूर्ण संवैधानिक संशोधन बिल पेश किया है, जिसके तहत एक नया पद “चीफ़ ऑफ डिफ़ेंस फोर्सेज” (Chief of Defence Forces) स्थापित किया जाएगा। इस पद को वर्तमान सेना प्रमुख आसिम मुनीर को सौंपा जाना प्रस्तावित है।
यह बदलाव संवैधानिक अनुच्छेद 243 में संशोधन के माध्यम से किया जाना है, जिसे “27वाँ” संशोधन बिल कहा जा रहा है।
क्यों किया गया यह बदलाव?
पाकिस्तान सरकार का कहना है कि तीनों सेनाओं — थल (Army), नौसेना (Navy) और वायु सेना (Air Force) — के बीच समन्वय (coordination) बेहतर करने, मौजूदा कमांड संरचना को मजबूती देने और आधुनिक युद्ध-परिस्थितियों में अधिक प्रभावी भूमिका निभाने के लिए यह नया पद आवश्यक है।
विशेष रूप से यह पद “तीनों सेनाओं का प्रमुख” (single command head) का स्वरूप लेगा और राष्ट्रपति तथा प्रधानमंत्री की सलाह से नियुक्त किया जाएगा।
आसिम मुनीर को क्यों चुना गया?
आसिम मुनीर वर्तमान में पाक आर्मी प्रमुख हैं और उन्हें इस नए पद के लिए प्रस्तावित करना इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि यह बदलाव सेना-ब्रांचों के प्रभुत्व को और केंद्रीय कमांड को दर्शाता है। मीडिया में यह भी चर्चा है कि हाल-फिलहाल के सैन्य घटनाक्रम — जैसे कि कथित “ऑपरेशन सिंदूर” — के बाद पाकिस्तान को अपनी रक्षा नीति और कमांड संरचना पर पुनर्विचार करना पड़ रहा है।
संभावित प्रभाव और चुनौतियाँ
इस संवैधानिक बदलाव के कुछ मुख्य परिणाम और चुनौतियाँ हो सकती हैं:
- नए पद के आने से पाकिस्तान में सैन्य अधिकारियों का प्रभुत्व बढ़ सकता है और राजनीतिक-सैन्य समीकरण में बदलाव आ सकता है।
- तीनों सेनाओं के प्रमुखों के समन्वय में सुधार होने की संभावना है, जिससे रणनीतिक निर्णय तेजी से और असरदार हो सकते हैं।
- हालांकि, इस तरह का बदलाव लोकतांत्रिक नियंत्रण, नागरिक-सैन्य संबंध तथा पारदर्शिता (transparency) के दृष्टिकोण से सवाल खड़ा करता है। नए पद की शक्तियों, जवाबदेही (accountability) तथा संवैधानिक संतुलन (constitutional balance) पर बहस संभव है।
- यह कदम पाकिस्तान के रक्षा एवं सैन्य संगठन में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। नए “चीफ़ ऑफ डिफ़ेंस फोर्सेज” पद के माध्यम से न सिर्फ कमांड संरचना में एकीकृत बदलाव आ रहा है बल्कि यह संकेत भी देता है कि पाकिस्तान अपनी बाहरी व आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों को नए दृष्टिकोण से देखने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। हालांकि, इस बदलाव की वास्तविक स्वरूप, प्रभाव और दीर्घ-कालीन परिणाम अब देखे जाने बाकी हैं।
