वृन्दावन (उत्तर प्रदेश) — मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने वृन्दावन में बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की नेतृत्व में चल रही ‘सनातन हिंदू एकता पदयात्रा’ में भाग लेकर एकता एवं धार्मिक समरसता का संदेश दिया।
यह पदयात्रा 7 नवंबर से दिल्ली के छतरपुर स्थित आद्या कात्यायनी शक्तिपीठ से शुरू होकर लगभग 145–170 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए 16 नवंबर को वृन्दावन के श्री बांके बिहारी मंदिर में समाप्त होगी।
पदयात्रा का उद्देश्य और राजनीतिक मायने
पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने इस यात्रा को “सनातन हिंदू एकता” का महायज्ञ बताया है, जहाँ वे धार्मिक और सामाजिक एकता के साथ-साथ हिंदू पहचान को भी मजबूती देना चाहते हैं। यात्रा को लेकर जनसमर्थन भी काफी बड़ा है, और आम जनता के साथ ही धार्मिक चिन्तकों का सहयोग जुड़ा हुआ दिख रहा है।
#WATCH वृन्दावन, उत्तर प्रदेश: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव उत्तर प्रदेश के वृन्दावन में बागेश्वर धाम सरकार आचार्य धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की सनातन हिंदू एकता पदयात्रा में शामिल हुए।
(सोर्स: बागेश्वर धाम) pic.twitter.com/dMMJCpzjyE
— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 16, 2025
राजनीतिक दृष्टि से भी यह पदयात्रा महत्वपूर्ण बनकर उभरी है — विश्लेषकों का मानना है कि इसके ज़रिए एक संवेदनशील धार्मिक-राजनीतिक संदेश स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर फैलाने की कोशिश की जा रही है
मोहन यादव की भागीदारी का संदेश
मोहन यादव की इस यात्रा में शामिल होना राजनीतिक स्तर पर एक मजबूत संकेत माना जा रहा है। यह कदम धार्मिक एकता की ओर उनके समर्थन को दर्शाता है। मध्य प्रदेश में “सनातन” विचारधारा को बढ़ावा देने के उनके ईमानदार प्रयासों के बीच, यह भागीदारी उनकी सार्वजनिक छवि को और अधिक गहराई देती है।
यह भागीदारी राजनीतिक और धार्मिक दोनों स्तरों पर दोहरा संदेश देती है:
- एक ओर, यह उनकी धार्मिक पहचान और संस्कृति-संपर्क को दर्शाता है।
- दूसरी ओर, यह उनकी राजनीतिक रणनीति में “संघ-आधारित” विचारों को जोड़ने का संकेत हो सकता है, खासकर ऐसे समय में जब धार्मिक और सामाजिक मुद्दे चुनावी एजेंडे में अहम भूमिका निभा सकते हैं।
सुरक्षा और प्रशासनिक प्रबंध
पदयात्रा के दौरान प्रशासन ने सख्त सुरक्षा व्यवस्था की है। नेवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस, क्राइम ब्रांच और ड्रोन की मदद से कई मार्गों पर निगरानी की जा रही है. इसके अलावा ट्रैफिक डायवर्जन की रणनीति भी बनाई गई है, ताकि पदयात्रा के दौरान सड़क पर भारी भीड़ होने पर व्यवधान को कम किया जा सके।
संक्षिप्त विश्लेषण और आगे की दहलीज़
- धार्मिक एकता का प्रतीक: यह पदयात्रा धार्मिक सहिष्णुता और हिंदू एकजुटता का प्रतीक बनकर उभरी है, और मोहन यादव का शामिल होना इसे और मजबूती देता है।
- राजनीतिक जुड़ाव: राजनीतिक नेताओं का इस तरह धार्मिक आयोजनों में शिल्वा देना अक्सर इसकी राजनीतिक उपयोगिता को उजागर करता है।
- संभावित भविष्य: यदि यह यात्रा चयन प्रचार या धार्मिक-राजनीतिक मिशन का हिस्सा बनी, तो आने वाले समय में इसे बड़े राजनीतिक और सामाजिक मोर्चे पर देखा जा सकता है।
