ईरान और इज़राइल के बीच संघर्ष एक जटिल और गहन राजनीतिक, धार्मिक और ऐतिहासिक मुद्दा है। यह संघर्ष कई कारणों से उत्पन्न हुआ है:
- आपराधिक सुरक्षा: ईरान, जो शिया इस्लाम का प्रमुख केंद्र है, इज़राइल को एक प्रमुख दुश्मन मानता है। ईरान का समर्थन ऐसे गुटों को है, जैसे कि हिज्बुल्ला और हमास, जो इज़राइल के खिलाफ संघर्षरत हैं।
- परमाणु कार्यक्रम: ईरान का परमाणु कार्यक्रम इज़राइल के लिए एक बड़ा खतरा माना जाता है। इज़राइल ने बार-बार चेतावनी दी है कि अगर ईरान परमाणु हथियार विकसित करता है, तो वह इसे रोकने के लिए किसी भी तरह के उपाय कर सकता है।
- भौगोलिक राजनीति: ईरान की बढ़ती क्षेत्रीय प्रभावीता, खासकर इराक, सीरिया, और लेबनान में, इज़राइल के लिए चिंता का विषय है। ईरान का इराक में प्रभाव और सीरिया में राष्ट्रपति बशर अल-असद का समर्थन, इज़राइल के लिए सुरक्षा के लिए खतरा माना जाता है।
- धार्मिक कारक: यह संघर्ष केवल राजनीतिक नहीं है, बल्कि धार्मिक भी है। इज़राइल एक यहूदी राष्ट्र है, जबकि ईरान एक इस्लामी गणराज्य है। इस धार्मिक विभाजन ने संघर्ष को और भी जटिल बना दिया है।
- अंतरराष्ट्रीय संबंध: अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों का ईरान के प्रति दृष्टिकोण और उनके इज़राइल के साथ संबंध भी इस संघर्ष को प्रभावित करते हैं। ईरान, अमेरिका के साथ संघर्ष में है, जो इज़राइल का करीबी सहयोगी है।
इस संघर्ष का प्रभाव न केवल मध्य पूर्व पर, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी पड़ता है। दोनों देशों के बीच का तनाव समय-समय पर बढ़ता और घटता रहता है, लेकिन शांति की दिशा में कोई ठोस कदम उठाना मुश्किल साबित हो रहा है।