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अमेरिका ने परीक्षण किया मिनटमैन‑3 ICBM — क्यों कहा जाता है ‘डूम्स‑डे मिसाइल’?

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New Delhi – अमेरिका की वायु सेना के ग्लोबल स्ट्राइक कमांड ने 5 नवंबर 2025 को इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) मिनटमैन‑3 का सफल परीक्षण किया। इसे मीडिया और विशेषज्ञों में अक्सर ‘डूम्स‑डे मिसाइल’ या ‘सिटी‑किलर’ भी कहा जाता है। यह मिसाइल लंबी दूरी पर स्थित संवेदनशील लक्ष्यों को मिनटों में निशाना बना सकती है — इसलिए इसका परीक्षण वैश्विक रणनीतिक संतुलन के संदर्भ में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

मिनटमैन‑3 क्या है?

मिनटमैन‑3 एक जमीन-आधारित ICBM है जिसकी परिचालन सीमा लगभग 5,500 किमी या उससे अधिक बताई जाती है। यह मिसाइल अमेरिका की ‘न्यूक्लियर ट्रायड’ (भूमि, समुद्र और वायु) का जमीनी हिस्सा है। मिनटमैन‑3 को 1970 के दशक में तैनात किया गया था और समय के साथ इसमें सुधार व आधुनिकीकरण किए गए हैं।

क्यों इसे ‘डूम्स‑डे मिसाइल’ कहा जाता है?

विशेष नाम ‘डूम्स‑डे’ इसीलिए पड़ा क्योंकि यह मिसाइल बड़े पैमाने पर विनाश कर सकती है और साथ ही कई लक्ष्य एक साथ भेद सकती है (MIRV क्षमता)। परमाणु सक्षम ICBM होने के कारण इसे देखा जाता है कि यदि कभी सक्रिय रूप से उपयोग हो तो यह किसी भी महानगर या रणनीतिक केंद्र को क्षणों में नष्ट कर सकती है।

कूटनीतिक और रणनीतिक निहितार्थ

मिनटमैन‑3 का परीक्षण ऐसे वक्त में आया है जब वैश्विक तनाव बढ़े हुए हैं। जगरन की रिपोर्ट के अनुसार, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने भी परमाणु परीक्षण की तैयारी के आदेश दिए हैं — जिससे परमाणु परीक्षणों की एक नई दौड़ का खतरा संभावित है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे परीक्षण वैश्विक परमाणु संधियों और मान्यताओं पर दबाव डालते हैं और रणनीतिक अस्थिरता बढ़ाते हैं।

क्या यह मिसाइल आक्रमण के लिए है?

अमेरिकी रक्षा विभाग का कहना है कि मिनटमैन‑3 को ‘प्रतिरोध’ के रूप में रखा जाता है — अर्थात् यह प्रतिपूरक निवारण (deterrent) के लिए है ताकि कोई भी प्रतिकारी देश न सोच सके कि वह पहले हमला कर ले। फिर भी, परीक्षणों का सन्दर्भ और उनकी आवृत्ति अन्य देशों की चिंता को जन्म देती है और संभावित प्रतिस्पर्धी कदमों के लिए प्रेरित कर सकती है।

“मिसाइल परीक्षणों का वैश्विक सन्दर्भ में अर्थ सिर्फ तकनीकी नहीं — यह रणनीतिक संकेत और राजनयिक संदेश भी होता है।”

दुनिया पर क्या असर पड़ सकता है?

विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका के इस प्रकार के परीक्षण से रूस, चीन और उत्तर कोरिया जैसी ताकतें भी प्रतिक्रिया दे सकती हैं — चाहे वह संयुक्त सैन्य अभ्यास हों, या अपने हथियार प्रणालियों के परीक्षण। इससे 1996 की परमाणु परीक्षण निषेध संधि जैसी व्यवस्थाओं पर दबाव पड़ सकता है और क्षेत्रीय अस्थिरता बढ़ सकती है।

मिनटमैन‑3 का परीक्षण यह दर्शाता है कि परमाणु‑सम्बन्धी क्षमताएँ और उनका प्रदर्श न आज भी अंतरराष्ट्रीय राजनीति का एक संवेदनशील और निर्णायक हिस्सा हैं। जबकि सरकारी बयानों में इन प्रणालियों को ‘प्रतिरोध’ के रूप में बताया जाता है, इनके परीक्षण वैश्विक सुरक्षा‑तंत्र के लिए चिंताजनक संकेत भी भेजते हैं। इसीलिए वैज्ञानिक, रणनीतिक और कूटनीतिक रूप से इन घटनाओं पर सतर्क निगरानी आवश्यक है।

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