Bihar Patna – श्रेया सिंह का जन्म 29 अगस्त 1991 को हुआ था। वे एक प्रतिष्ठित भारतीय निशानेबाज और बाद में राजनीति में सक्रिय हुईं। उन्होंने खेल जगत में स्वर्ण पदक जीतने के बाद राजनीति में भी कदम रखा है।
पारिवारिक-भूमि एवं शिक्षा
श्रेया बिहार के जमुई जिले के गिधौर प्रखंड के ‘नया गाँव’ से हैं। उनका परिवार राजनीतिक एवं खेल-दोनों पृष्ठभूमि से जुड़ा हुआ है। उनके पिता Digvijay Singh पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे हैं और उनकी माँ Putul Kumari भी सांसद रह चुकी हैं। शिक्षा-क्षेत्र में, श्रेया ने दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज से आर्ट्स में स्नातक की डिग्री ली और आगे एमबीए भी किया।
खेल-करियर
– उन्होंने निशानेबाजी (विशेषकर डबल ट्रैप) में शानदार प्रदर्शन किया है। (Wikipedia)
– 2014 में ग्लासगो कॉमनवेल्थ गेम्स में डबल ट्रैप में रजत पदक प्राप्त किया। (Sportsmatik)
– 2018 में ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में डबल ट्रैप में स्वर्ण पदक जीता।
– खेल के प्रति उनकी मेहनत, लय-प्रतिस्पर्धा और आत्मविश्वास उनके खेल-करियर को विशेष बनाते हैं।
राजनीति में प्रवेश तथा उपलब्धियाँ
श्रेया ने 2020 में Bharatiya Janata Party (भाजपा) का दामन थामा और बिहार के जमुई विधान सभा क्षेत्र से चुनाव जीतकर विधायक बनीं।
ताज़ा खबरों के अनुसार, उन्होंने मंत्री पद ग्रहण किया है और राज्य सरकार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
विश्लेषण: खेल से राजनीति की ओर
श्रेया का खेल-पृष्ठभूमि उन्हें राजनीति में भी अलग पहचान देती है। खेल ने उन्हें अनुशासन, लक्ष्य-निर्धारण और आत्मविश्वास दिया, जो कि राजनीतिक क्षेत्र में बहुत काम आते हैं। उन्हें विरासत (पारिवारिक राजनीति) मिला भी, लेकिन उन्होंने अपनी मेहनत और खेल-उपलब्धियों के माध्यम से खुद की पहचान बनाई — जैसा कि उस जागरण लेख का शीर्षक कहता है: “विरासत नहीं, खुद की मेहनत की गवाही”।
चुनौतियाँ एवं संभावनाएँ
हालाँकि उन्हें युवा और जूनियर नेता के रूप में हर्ष-उत्साह मिला है, लेकिन नयी भूमिका में अपेक्षाएँ और जिम्मेदारियाँ भी बड़ी हैं। उदाहरणस्वरूप, कुछ अभ्यर्थियों ने उनकी व्यस्तताओं पर सवाल उठाये हैं कि “पांच साल में एक बार भी इलाके में नहीं आईं” जैसी टिप्पणियाँ सामने आई हैं।
इसलिए यह देखा जाना बाकी है कि कैसे वे अपने क्षेत्र के विकास-कार्य, खेल-प्रेरणा एवं सामाजिक जिम्मेदारियों को संतुलित करती हैं।
श्रेया सिंह की कहानी हमें यह प्रेरणा देती है कि पारिवारिक पृष्ठभूमि के साथ-साथ व्यक्तिगत क्षमता, समर्पण और लक्ष्य-प्राप्ति की चाह मायने रखती है। खेल से मिली सफलता ने उनके राजनीतिक सफर को भी अधिक विश्वसनीय और प्रेरक बनाया है। यदि वे क्षेत्र में सक्रिय, लगातार संवाद में और विकास-कार्य में तत्पर रहीं, तो उनकी भूमिका बिहार की राजनीति में नयी युवा-ऊर्जा के प्रतीक के रूप में और मजबूत हो सकती है।

