नई दिल्ली — 1 दिसंबर से शुरू हुए Indian Parliament के शीतकालीन सत्र में पहले ही दिन से सियासी तापमान बढ़ गया है। संसद की कार्यवाही, Special Intensive Revision (SIR) के विरोध को लेकर विपक्ष के तीखे प्रदर्शन और नारेबाज़ी के बीच कई बार स्थगित करनी पड़ी।
विवाद की वजह — SIR और नागरिक चिंताएँ
विपक्ष का कहना है कि मतदाता सूची में हो रहे SIR पुनरीक्षण से लोकतांत्रिक अधिकारों और पारदर्शिता पर सवाल उठते हैं। इसके अलावा, कुछ दलों ने इस सत्र में वायु-प्रदूषण, हालिया सुरक्षा घटनाओं जैसे दिल्ली धमाके, और मतदान प्रक्रिया से जुड़े अन्य sensitive मसलों पर चर्चा की मांग की है।
सरकार का एजेंडा: 10–15 अहम विधेयक
वहीं, सरकार ने इस सत्र में कई बड़े विधेयकों को पास कराने की तैयारी कर रखी है — जिनमें शामिल हैं: असैन्य परमाणु ऊर्जा क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोलने वाला Atomic Energy Bill, 2025, उच्च शिक्षा से जुड़े सुधार, कॉर्पोरेट कानून में संशोधन, पूंजी-बाज़ार एवं कर संबंधी विधेयक, आदि।
सरकार का कहना है कि सत्र छोटा है और इसलिए प्राथमिकता कानून निर्माण व आर्थिक सुधारों को दी जाए।
संकट या संवाद — क्या सत्र आगे चलेगा?
विपक्ष ने चेतावनी दी है कि यदि SIR पर बहस न हुई तो सत्र का सुचारू काम-काज नहीं होगा।दूसरी ओर, सरकार का कहना है कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया में सवाल पूछना अधिकार है — लेकिन “ड्रामा नहीं, डिलीवरी” होनी चाहिए।
देश की निगाह अब इस पर टिकी है कि क्या सत्र के दौरान संवेदनशील मुददों पर सार्थक बहस हो पाएगी — या फिर प्रारंभिक टकराव के बीच कई विधेयक अधूरे रह जाएंगे।

