नई दिल्ली, 12 नवंबर 2025: बांग्लादेश की राजनीतिक हलचल के बीच पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने स्पष्ट कर दिया है कि वे देश लौटेंगी तभी जब देश में लोकतंत्र-व्यवस्था पूरी तरह बहाल होगी। उन्होंने अपनी एक साक्षात्कार में कहा है कि उनकी मुख्य शर्तें हैं — Awami League (उनकी पार्टी) पर लगी पाबंदी हटना और देश में “लोक सहभागितात्मक लोकतंत्र” का फिर से आरंभ होना।
प्रमुख बिंदु
- उन्होंने बताया कि उनका कहना है कि बांग्लादेश में जो अंतरिम सरकार है, उसे सबसे पहले अपनी पारदर्शिता और लोकतांत्रिक वैधता साबित करनी होगी। उन्होंने कहा कि पार्टियों को पूरी तरह चुनाव लड़ने का अधिकार मिलना चाहिए — तभी उनका (और उनकी पार्टी का) वापस लौटना संभव होगा।
- शेख हसीना ने आरोप लगाया है कि वर्तमान व्यवस्था ने उनकी पार्टी पर पाबंदी लगा रखी है, जो उनके अनुसार “न्याय-विहीन” है तथा लोकतंत्र की मूल भावना के विरुद्ध है।
- उन्होंने यह भी कहा है कि यदि चुनाव बिना उनकी पार्टी के हुए या पार्टी को भागीदारी नहीं मिली, तो देश में आने वाले शासक-वर्ग की वैधता सवालों के घेरे में होगी।
- भारत के साथ बांग्लादेश के रिश्तों को लेकर भी उन्होंने चिंता जताई है: उन्होंने कहा कि भारत बांग्लादेश का “सबसे महत्वपूर्ण” अंतरराष्ट्रीय संबंध रहा है, और वर्तमान सरकार की विदेश-नीति उस रिश्ते को कमजोर कर सकती है।
शेख हसीना अगस्त 2024 में देश के बड़े हिंसात्मक छात्र-अभियानों के बाद बांग्लादेश से निकल गई थीं। उसके बाद देश में एक अंतरिम सरकार बनी है, जिसे उन्होंने वैध नहीं माना।
उनकी पार्टी, अवामी लीग, पर पाबंदी लगा दी गई है और उन्हें चुनाव लड़ने से रोक दिया गया है। (
विश्लेषण
शर्तों के पीछे एक स्पष्ट राजनीतिक रणनीति दिखती है — शेख हसीना यह संकेत देती हैं कि वे सिर्फ तब वापस लौटना चाहती हैं जब उनकी पार्टी को लोकतांत्रिक रूप से स्वीकार्यता मिले और देश में चुनाव-प्रक्रिया निष्पक्ष हो। यह दावा सीधे तौर पर उस सरकार की वैधता पर सवाल उठाता है जो वर्तमान में बांग्लादेश में कार्यरत है।
इसके साथ ही यह भारत-बांग्लादेश संबंधों पर भी असर डालने वाला है, क्योंकि उन्होंने भारतीय भूमिका का उल्लेख करते हुए कहा कि बांग्लादेश के लिए भारत “रुढ़िवादी” नहीं, बल्कि स्थायी मित्र है।
शेख हसीना की शर्तें बांग्लादेश की आगामी राजनीतिक दिशा के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ हैं। यदि सरकार इस ओर सकारात्मक कदम उठाती है—पार्टी पाबंदी हटाती है, निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करती है—तो उनकी वापसी संभव है। वरना यह राजनीतिक गतिरोध और बढ़ सकता है।

