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“इमरान खान के गायब सच की गूंज — ज़िंदा या…? पाकिस्तान में हंगामा”

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New Delhi – पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री Imran Khan को लेकर एक गंभीर और विवादित दावे ने बातचीत को फिर से गरमा दिया है। 2023 से रावलपिंडी के Adiala Jail में बंद इमरान खान की मुलाकात पर हाल-फिलहाल परिवार को लगातार रोक भी लगा हुआ है। अब, अफगानिस्तान के रक्षा मंत्रालय द्वारा किए गए दावे ने हालात को और जटिल बना दिया है — मंत्रालय ने कहा है कि गृह सचिव सूत्रों के हवाले से यह दावा किया गया है कि इमरान खान को जेल में ही “हत्या” कर दी गई है। हालांकि, यह दावे जैसे ही सामने आए — पाकिस्तान सरकार और सेना ने उसे सिरे से खारिज कर दिया है — और कहा है कि इमरान खान जिंदा हैं, तथा जेल में ही हैं।

पिछले कुछ दिनों से, इमरान खान की बहनें — Aleema Khan, Noreen Niazi और Dr Uzma Khan — जेल में उनसे मिलने का अनुरोध लेकर पाकिस्तानी अधिकारियों के पास गई थीं। लेकिन उन्हें मिलने की अनुमति नहीं दी गई। इसके बाद, उनकी पार्टी Pakistan Tehreek-e-Insaf (PTI) के समर्थकों ने जेल के बाहर धरना प्रदर्शन किया। उनके अनुसार, समर्थन करते हुए लाखों लोग इकट्ठा हुए, और वे मांग कर रहे थे कि इमरान की ताज़ा स्वास्थ्य रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए। PTI कार्यकर्ताओं के अनुसार, अधिकारियों ने बहनों को पुलिस द्वारा जबरन खींच-पकड़ कर रोक दिया, और प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया। अफगान पक्ष द्वारा दावा किया गया कि “गिरफ्तारी के दौरान जेल में” इमरान खान की हत्या कर दी गई, और करीब 17 दिन पहले यह घटना हुई — जैसा कि एक रक्षा संबंधित स्रोत ने “पहचान छुपाने” की शर्त पर बताया। इस दावे को सोशल मीडिया प्लेटफार्म X (पूर्व में ट्विटर) पर भी शेयर किया गया, जिससे अचानक से इस खबर को जोरदार फैलाव मिला।

लेकिन पाकिस्तान सरकार और सेना ने इस दावे को “झूठा और कपोलकल्पित” करार दिया। जेल प्रशासन ने कहा है कि Imran Khan को मिल रही सुविधाएँ सामान्य जेल सुविधाओं के अनुरूप हैं — वे “कुलियों / मौत सेल” या कोई असामान्य प्रदर्शन नहीं किया जा रहा है। उनका कहना है कि ये अफवाहें जनता को भड़काने के लिए फैलाई जा रही हैं।

 

वहीं, PTI और इमरान परिवार का कहना है कि उन्हें पिछले 23 दिनों से इमरान से मिलने नहीं दिया गया, और जेल प्रशासन के रवैये ने परिवार सहित समर्थकों में भारी रोष पैदा कर दिया है। उनके अनुसार, यह एक मानवीय और कानूनी हनन है — एक पूर्व प्रधानमंत्री होने के बावजूद उन्हें न सिर्फ मुलाकात से वंचित रखा गया, बल्कि उनकी हेल्थ की जानकारी भी स्पष्ट रूप से साझा नहीं की जा रही।

इस घटना ने पाकिस्तान की न्याय व्यवस्था, मानवाधिकारों और जेल प्रशासन प्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यदि दावा सही है, तो यह राजनीतिक अस्थिरता के लिए सिर्फ एक और जड़ होगी — और यदि झूठ है, तो सरकार की विश्वसनीयता, सूचना पारदर्शिता और मानवाधिकारों की रक्षा की जिम्मेदारी पर बड़ी चोट होगी।

अभी तक, किसी स्वतंत्र संस्था, न्यायालय या मीडिया ने इस दावे की पुष्टि नहीं की है कि इमरान खान की मौत हुई — और आधिकारिक रूप से कहा जा रहा है कि वो जीवित हैं। लेकिन लगातार मुलाकातों व संपर्कों की मनाही, जेल से पूरी जानकारी की कमी, और परिवार तथा समर्थकों की चिंता — ये सभी मिलकर यह साबित करते हैं कि मामला सिर्फ “कानूनी बंदी” का नहीं, बल्कि “मानवाधिकार और राजनीतिक सुरक्षा” का है।

इसलिए अब अंतरराष्ट्रीय समुदाय, मीडिया और मानवाधिकार संगठनों का ध्यान इस पूरी घटना पर बना हुआ है — कि क्या सच निकलता है, क्या पुख्ता प्रमाण सामने आते हैं, और क्या यह मामला सिर्फ अफवाह है या वास्तव में कुछ बहुत गंभीर घटित हुआ है।

 

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