नई दिल्ली — राजधानी में 10 नवंबर 2025 को हुए भयावह कार-बम धमाके के मद्देनज़र Enforcement Directorate (ईडी) ने चार राज्यों में फैले 30 अलग-अलग ठिकानों पर छापेमारी शुरू कर दी है। यह कार्रवाई धमाके के मुख्य आरोपी Umar Nabi और उसके समर्थन नेटवर्क की जाँच के तहत की गई है।
घटना-विस्तार
जागरण समाचार के अनुसार इस मामले में निम्नलिखित घटनाक्रम सामने आए हैं:
- आरोपी उमर नबी का एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें वह कह रहा है कि ‘‘इस्लाम में आत्महत्या हराम है, लेकिन बॉम्बिंग जायज है’’। इस अभूतपूर्व बयान ने जांच एजेंसियों को गहरी चिंतन में डाल दिया है।
- ईडी की छापेमारी का केंद्र Al Falah University रहा, जो हरियाणा के फरीदाबाद में स्थित है। इसके साथ ही दिल्ली-एनसीआर, मध्य प्रदेश सहित अन्य राज्यों में भी कई लोकेशन शामिल हैं।
- प्रारंभिक जाँच में उन कंपनियों पर संदेह है जो सिर्फ कागज़ों पर मौजूद थीं, लेकिन बिजली-उपयोग, यूटिलिटी खर्च जैसे आम कारोबारी संकेत नहीं दिखा रहे थे। यह पैटर्न शेल कंपनियों जैसा बताया गया है।
क्यों यह मामला बेहद अहम है?
यह मामला सिर्फ धरातल पर हुए धमाके तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसे ‘‘व्हाइट-कलर टेररिज्म’’ व मनी-लॉन्ड्रिंग से भी जोड़ा गया है। इसका मतलब यह हुआ कि आतंक-कार्यों के पीछे सिर्फ हिंसात्मक पहलू नहीं, बल्कि आर्थिक धन-प्रवाह, संस्थागत सहयोग और नेटवर्किंग की गहरी जड़ें हैं। इस दिशा में ईडी और National Investigation Agency (एनआईए) को विशेष अधिकार दिए गए हैं।
आगे क्या होने वाला है?
जांच की दिशा स्पष्ट है:
- आरोपी उमर नबी द्वारा बनाए गए अन्य वीडियो की खोज। यह पता लगाना कि क्या इसे अकेले किया गया था या किसी बड़े नेटवर्क का हिस्सा था।
- शेल कंपनियों, संस्थागत फंडिंग, और विश्वविद्यालय-प्रोफाइल की मौजूदगी को देखते हुए मनी-लॉन्ड्रिंग के स्रोत की तह तक जाना।
- चार राज्यों में छापेमारी के बाद जब प्राथमिक सबूत एकत्रित होंगे, तो आरोप-पत्र दाखिल होने की प्रक्रिया तेज होगी।
दिल्ली धमाके के बाद यह जाँच दर्शाती है कि आज के आतंक-कार्यों में हिंसा के बावजूद पृष्ठभूमि में गहराई और संरचना होती है। सिर्फ कार्रवाई करना पर्याप्त नहीं — नेटवर्क को समाप्त करना और उसके स्रोतों को नियंत्रित करना अब प्राथमिकता बन गया है। इस मामले की अगली कड़ी में न्याय-प्रक्रिया, एजेंसियों की कार्रवाई और संयोजन की क्षमता पर निगाह टिकी हुई है।

