- पंजाब में लंबे समय से सियासी हल्के से दूर रहने वाले नवजोत सिंह सिद्धू को लेकर अचानक हलचल मची हुई है। उनकी पत्नी और कांग्रेस नेता नवजोत कौर सिद्धू ने कहा है कि यदि पार्टी उन्हें पंजाब में मुख्यमंत्री (CM) फेस के रूप में नामित करती है — तो सिद्धू सक्रिय राजनीति में वापसी करेंगे।
- नवजोत कौर ने मीडिया से बातचीत में यह दावा किया कि उन्हें या उनके परिवार को किसी तरह का “500 करोड़ रुपए का सूटकेस” देने की स्थिति नहीं है — लेकिन, उनका कहना है कि पैसा नहीं है, पर वह परिणाम देने की क्षमता रखते हैं और यदि मौका मिले, तो पंजाब को “गोल्डन स्टेट” में बदल सकते हैं।
राजनीतिक पृष्ठभूमि और सियासी माहौल
- पिछली विधानसभा व लोकल चुनावों में, सिद्धू ने कांग्रेस के लिए प्रचार अभियान नहीं किया था। 2024 के लोकसभा चुनाव में भी वे सक्रिय नहीं रहे।
- इस बीच, उन्होंने क्रिकेट-कमेंट्री में वापसी की और अपना यूट्यूब चैनल भी शुरू किया — जिससे साफ था कि वे इस समय राजनीति से दूरी बनाए रखना चाहते थे।
कांग्रेस में अंदरूनी विरोधाभास — क्या मिलेगा मौका?
- नवजोत कौर सिद्धू ने कहा है कि पंजाब कांग्रेस में पहले से ही कम-से-कम पाँच नेताओं के बीच मुख्यमंत्री पद की दौड़ चल रही है — मतलब यह कि सिद्धू को तीसरी बार मौका मिलेगा या नहीं, यह कहना मुश्किल है।
- उनकी वापसी सिर्फ नामांकन से नहीं — “मुख्यमंत्री चेहरा” घोषित होने तक ही संभव है। वरना, फिलहाल उनकी राजनीतिक सक्रियता सीमित रही है।
आगे क्या हो सकता है — 2027 विधानसभा चुनाव और सिद्धू की भूमिका
- पंजाब में अगला विधानसभा चुनाव 2027 में है — अगर कांग्रेस सिद्धू को सीएम फेस घोषित करती है, तो उनकी वापसी 2025-26 में हो सकती है।
- यह फैसला कांग्रेस हाईकमान को करना है, लेकिन अगर सिद्धू वापसी करते हैं, तो पार्टी को फिलहाल भीतरू संघर्ष, चेहरे चुनाव और राजनीति में बदलावों की तैयारी करना पड़ेगी।
एक अनिर्णय में खड़ा दौर
नवजोत सिंह सिद्धू की राजनीतिक वापसी की अपील — एक तरह से सियासी दांव है, जो कांग्रेस और पंजाब की राजनीति दोनों के लिए अहम हो सकती है।
लेकिन यह तय करना अभी बाकी है कि —
• क्या कांग्रेस उन्हें सीएम फेस बनाएगी?
• अगर बनाएगी — तो क्या पार्टी की अंदरूनी जटिलताएं उन्हें मौका देंगी?
• और अगर मौका नहीं मिला — तो सिद्धू अपनी राजनीतिक दूरी बनाए रखेंगे या अन्य विकल्प तलाशेंगे?
इस सियासी घुमाव का असर 2027 के चुनावों और पंजाब की राजनीति पर काफी गहरा हो सकता है।


