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बीजेपी का “Save Lal Bagh” अभियान: बेंगलुरु की टनल-रोड परियोजना के खिलाफ जोरदार विरोध

BJP leaders launch 'Save Sankey' campaign against Tunnel Road project Read more At:  https://aninews.in/news/national/general-news/bjp-leaders-launch-save-sankey-campaign-against-tunnel-road-project20251115112300/

कर्नाटका 15 Nov 2025 – हाल ही में कर्नाटक की राजनीति में एक नया विवाद उभरा है — बीजेपी नेता बेंगलुरु में प्रस्तावित टनल-रोड परियोजना (Tunnel Road Project) के खिलाफ विरोध अभियान शुरू कर चुके हैं। इस अभियान को उन्होंने “Save Lal Bagh, Protect Bengaluru” नाम दिया है, क्योंकि उनका कहना है कि यह परियोजना शहर की पहचान, उसकी हरित धरोहर और आम जनता के हितों के लिए घातक हो सकती है।

विरोध के प्रमुख बिंदु

  1. पर्यावरणीय नुकसान
    • विपक्षी नेता R. Ashoka ने चेतावनी दी है कि ललबाग (Lal Bagh) बॉटनिकल गार्डन का एक हिस्सा खो सकता है, क्योंकि टनल की रूट उसी इलाके से होकर गुजरने की योजना है।
    • बीजेपी का तर्क है कि यह “परिवार-जनित विकास” नहीं बल्कि “विपक्ष-जनित परियोजना” है — यानी अमीर और वर्किंग क्लास के बहुत छोटे हिस्से की सुविधा को ध्यान में रखते हुए बनाई जा रही है।
    • उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि सुरंग सड़क के लिए ज़मीन अधिग्रहण और पर्यावरणीय स्वीकृति सही तरह से नहीं ली गई।
  2. आर्थिक बोझ
    • इस परियोजना की अनुमानित लागत बहुत ज़्यादा है। Ashoka ने कहा है कि इसके लिए बहुत बड़ा कर्ज लेना पड़ेगा — और यह कर्जा “लग्ज़री प्रोजेक्ट” है, न कि आम जनता के लिए।
    • उनका कहना है कि इस तरह के बड़े प्रोजेक्ट से राज्य की वित्तीय स्थिति भी दबाव में आ सकती है।
  3. यातायात और उपयोगिता
    • Tejasvi Surya, बीजेपी सांसद, ने कहा है कि यह टनल रोड “गैर-वैज्ञानिक” है और यातायात की जड़ समस्या — निजी वाहनों पर निर्भरता और सार्वजनिक परिवहन की कमी — को हल नहीं करेगा।
    • उन्होंने DPR (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) का हवाला देते हुए कहा है कि टनल की एंट्री और एग्ज़िट रैंप्स पर 22 नए चोक प्वाइंट (traffic bottlenecks)” बनेंगे, जिससे ट्रैफिक असल में बढ़ सकता है।
    • साथ ही यह भी आरोप लगाया गया है कि सार्वजनिक परिवहन (जैसे मेट्रो, सबअर्बन रेल) को बढ़ावा देने की बजाय राज्य सरकार एक महंगी टनल पर निवेश कर रही है, जो लंबे समय में अधिक कार उपयोगकर्ताओं को फ़ायदा पहुंचाएगी।
  4. जनसंवाद और स्वीकृति की कमी
    • बीजेपी नेताओं की शिकायत है कि इस परियोजना को आगे बढ़ाने में सार्वजनिक परामर्श (public consultation) पर्याप्त नहीं हुआ है।
    • इसके अलावा, उन्होंने पर्यावरणीय प्रभाव अध्ययन (EIA) और भू-वैज्ञानिक अध्ययन (Geological study) की कमी की बात उठाई है।

बीजेपी का विरोध आंदोलन

 

सरकार का रुख और जवाब

जानिए यह संघर्ष क्यों मायने रखता है

  1. परिवर्तनशील शहर-राजनीति
    इस मुद्दे से स्पष्ट हो रहा है कि बेंगलुरु में विकास की राजनीति सिर्फ इन्फ्रास्ट्रक्चर तक सीमित नहीं है — यह पर्यावरण, पहचान और सार्वजनिक संसाधनों के रक्षा की लड़ाई भी बन गई है। BJP की यह मुहिम “हरित विरासत + आम जनता” के एजेंडे को आगे ला रही है।
  2. पब्लिक ट्रांसपोर्ट बनाम लग्ज़री प्रोजेक्ट
    यह बहस विकास के दो मॉडल के बीच है — एक मॉडल जो मेट्रो, सबअर्बन रेल जैसी जन-परिवहन प्रणाली को प्राथमिकता देता है, और दूसरा मॉडल जो हाई-प्रोफाइल, महंगे प्रोजेक्ट्स (जैसे टनल रोड) को महत्व देता है। BJP इसे “लग्ज़री और असंतुलित” कह रही है।
  3. वित्तीय जोखिम
    इतने बड़े प्रोजेक्ट में पैसा बहुत है, और कर्ज का बोझ लंबे समय तक महसूस किया जा सकता है। यदि यह परियोजना आम जनता के लिए इतनी उपयोगी नहीं है जितना दावा किया गया है, तो यह कर्ज़ और संसाधन बर्बाद करने जैसा हो सकता है।
  4. लोक भागीदारी का महत्व
    BJP का हस्ताक्षर अभियान और संवाद प्रदर्शित करते हैं कि परियोजनाओं में नागरिकों की भागीदारी कितना अहम है। विकास परियोजनाएं सिर्फ सरकारी या राजनीतिक निर्णय नहीं हो सकतीं — उनका असर सीधे लोगों की ज़िंदगियों, पर्यावरण और शहर की आत्मा पर पड़ता है।

कर्नाटक में, बीजेपी की यह मुहिम सिर्फ एक इन्फ्रास्ट्रक्चर विरोध नहीं है — यह एक व्यापक लोक-आक्रोश की तस्वीर दिखाती है, जहाँ जनता यह पूछ रही है: विकास किसके लिए? और क्या हमें हमारी हरी धरोहर छोड़कर महंगे पैमाने-बड़ेप्रोजेक्ट्स स्वीकार करने चाहिए?

टनल-रोड परियोजना का भविष्य इस बात पर निर्भर करेगा कि सरकार और जनता दोनों मिलकर समाधान बना पाते हैं या नहीं। क्या यह एक ऐसा विवाद बनेगा जो शहर की सार्वजनिक नीति की दिशा बदल दे — या यह सिर्फ एक राजनीतिक लड़ाई के रूप में रह जाएगा? यह देखने वाली बात होगी।

 

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