पटना (बिहार) 17 Nov 2025 – बिहार में National Democratic Alliance (NDA) की शानदार जीत के बाद राज्य में नई सरकार गठन की प्रक्रिया पूरी तेजी से शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री Nitish Kumar ने अपनी कैबिनेट की बैठक के बाद औपचारिक रूप से राजभवन में वर्तमान विधानसभा को भंग करने का प्रस्ताव सौंपा, जिससे यह लगभग तय हो गया कि विधानसभा 19 नवंबर को भंग कर दी जाएगी और नई सरकार 20 नवंबर को शपथ ले सकती है।
इस बीच, विभागीय अधिकारी और नौकरशाह मंत्रियों के सामने पेश करने के लिए योजनाओं और बजट की तैयारियों में जुट गए हैं — यह संकेत है कि सिर्फ सत्ता-हस्तांतरण नहीं, बल्कि प्रशासनिक रूप से नई पारी अर्जन की तैयारी भी शुरू हो चुकी है।
राजनीतिक खेमों में भी हलचल है: विपक्षी Rashtriya Janata Dal (RJD) ने अब अपने विधायकों के साथ हार के कारणों पर मंथन शुरु कर दिया है, जबकि NDA के अंदर गठबंधन-साझेदारी, मंत्रीपदों का बंटवारा और आगामी प्राथमिकताएँ तय करने को लेकर सक्रियता देखी जा रही है।
विस्तृत विश्लेषण
यह दौर बिहार की राजनीति के लिए महत्वपूर्ण मोड़ है क्योंकि एक ओर जनादेश स्पष्ट रूप से NDA के पक्ष में गया है, वहीं दूसरी ओर विपक्षी गठबंधन के लिए पुनर्गठन की चुनौती है।
नीतीश कुमार का फैसला सरकार भंग करने और सत्ता हस्तांतरण की प्रक्रिया शुरू करने का संकेत है कि अगले कुछ दिन राजनीतिक ‘घड़ी की सुइयाँ’ तेज गति से चलेंगी। यह सिर्फ पद-परिवर्तन नहीं बल्कि राजनीतिक दिशा परिवर्तन का वक्त है।
उपरोक्त घटनाओं में कुछ खास बातें ध्यान देने योग्य हैं:
- सत्ता-परिवर्तन की तैयारी: सरकार के भंग प्रस्ताव और नई गिरफ्तारी व्यवस्था का फॉर्मूला इस बात का संकेत है कि सत्ता ‘प्रस्तुत’ हो चुकी है और समहर्ता अभी स्थित हैं।
- विपक्ष की परेशानी: RJD मंगलवार को विपक्षी नेता चयन करती दिखी, लेकिन पार्टी के अंदरूनी विवाद सामने आए हैं, जिससे विपक्ष की स्थिति और कमजोर हुई लगती है।
- गठबंधन का प्रबंधन: NDA में सीट-वितरण और मोर्चेबंदी पर अभी काम चल रहा है। यह कदम भविष्य में सरकार के संचालन-शक्ति को प्रभावित कर सकता है।
- प्रभाव एवं चुनौतियाँ: नया सरकार गठन होने के बाद विकास एजेंडा, विधायी सक्रियता, और विपक्ष-प्रतिक्रिया के बीच संतुलन बनाए रखना चुनौतीपूर्ण रहेगा।
बिहार में अब तक की राजनीति-गति स्पष्ट संकेत दे रही है: जनादेश NDA के पक्ष में गया, सत्ता हस्तांतरण की प्रक्रिया सक्रिय है, और नए नेतृत्व के लिए पथ तैयार हो रहा है। लेकिन असली परीक्षा नए गठबंधन की मजबूती, विकास-गति को तेज करने की क्षमता और विपक्ष एवं आम नागरिकों की अपेक्षाओं को पूरा करने में होगी। अगले कुछ हफ्ते इस दिशा में निर्णायक साबित हो सकते हैं।

