फरीदाबाद/दिल्ली, 12 नवंबर 2025: – दिल्ली के लाल किला क्षेत्र में कार विस्फोट की गूंज अब फरीदाबाद तक पहुँच गई है। इस धमाके के बाद गिरफ्तार किए गए डॉक्टरों के अल-फलाह यूनिवर्सिटी से संबंध सामने आने पर पूरा शैक्षणिक जगत हैरान है। हालांकि यूनिवर्सिटी प्रशासन ने साफ कहा है कि उनका किसी भी आतंकी गतिविधि से कोई संबंध नहीं है, और वे जांच एजेंसियों के साथ पूरी तरह सहयोग कर रहे हैं।
विस्फोट के बाद बड़ी कार्रवाई
10 नवंबर की रात लाल किला के पास एक कार में जोरदार धमाका हुआ। विस्फोट इतना शक्तिशाली था कि आसपास खड़ी तीन गाड़ियाँ आग की लपटों में घिर गईं। प्रारंभिक जांच में पता चला कि धमाके में प्रयोग किया गया विस्फोटक RDX जैसा उच्च क्षमता वाला पदार्थ था। इसी कड़ी में NIA और दिल्ली पुलिस की टीम ने फरीदाबाद में छापा मारते हुए 2,900 किलो से ज्यादा विस्फोटक सामग्री बरामद की।
डॉक्टरों की गिरफ्तारी से हड़कंप
फरीदाबाद में की गई कार्रवाई के दौरान दो डॉक्टरों को हिरासत में लिया गया, जिनके अल-फलाह यूनिवर्सिटी से पेशेवर संबंध बताए जा रहे हैं। दोनों डॉक्टर वहां के पूर्व छात्र और अस्थायी कर्मचारी रहे हैं। जैसे ही यह खबर फैली कि इन डॉक्टरों का यूनिवर्सिटी से लिंक है, सोशल मीडिया पर अल-फलाह यूनिवर्सिटी ट्रेंड करने लगी और तरह-तरह की अफवाहें फैल गईं।
यूनिवर्सिटी की सफाई – “केवल पेशेवर रिश्ता था”
मामला तूल पकड़ने के बाद यूनिवर्सिटी प्रशासन ने देर रात प्रेस विज्ञप्ति जारी की। बयान में कहा गया –
“हमारा उन व्यक्तियों से केवल पेशेवर संबंध रहा है। यूनिवर्सिटी या उसके किसी विभाग का किसी भी प्रकार की गैर-कानूनी या आतंकी गतिविधि से कोई लेना-देना नहीं है। पुलिस की जांच में हम पूरी तरह सहयोग कर रहे हैं।”
यूनिवर्सिटी ने यह भी दावा किया कि कैंपस या उसकी लैब से कोई विस्फोटक बरामद नहीं हुआ है।
जांच एजेंसियों का फोकस
NIA और हरियाणा पुलिस अब यह पता लगाने में जुटी हैं कि इतनी बड़ी मात्रा में विस्फोटक सामग्री फरीदाबाद तक कैसे पहुँची और इसका दिल्ली ब्लास्ट से क्या संबंध है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया कि यह सामग्री किसी लैब में तैयार की जा रही थी, जबकि यूनिवर्सिटी प्रशासन ने ऐसे सभी आरोपों को “झूठा और भ्रामक” बताया है।
घटना से छात्रों और अभिभावकों में चिंता
घटना के बाद यूनिवर्सिटी के छात्रों और अभिभावकों के बीच डर और असमंजस का माहौल है। कई छात्रों ने कहा कि अचानक आई इन खबरों से वे मानसिक रूप से परेशान हैं। कुछ छात्रों का कहना है कि संस्थान को अब और ज्यादा सख्त सुरक्षा जांच लागू करनी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी कोई घटना दोबारा न हो।
जानिए विशेषज्ञों की राय
शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला सिर्फ एक विश्वविद्यालय का नहीं है, बल्कि यह पूरे शिक्षा-तंत्र के लिए चेतावनी है। विश्वविद्यालयों में स्टाफ और छात्रों की पृष्ठभूमि की गहन जांच, साइबर निगरानी और सुरक्षा प्रोटोकॉल को मजबूत करने की जरूरत है।
दिल्ली ब्लास्ट की जांच अभी जारी है, लेकिन इस घटना ने यह सवाल जरूर खड़ा कर दिया है कि क्या हमारे शिक्षा संस्थान पर्याप्त रूप से सुरक्षित हैं? अल-फलाह यूनिवर्सिटी ने भले ही खुद को निर्दोष बताया हो, पर इस मामले ने “सफेदपोश आतंकवाद” की नई परिभाषा सामने रख दी है। अब देशभर की यूनिवर्सिटियाँ सतर्क हैं और सरकार भी शैक्षणिक परिसरों की सुरक्षा समीक्षा पर विचार कर रही है।

