Career And Family: करियर और परिवार के बीच समझौता सिर्फ महिलाओं को ही क्यों करना पड़ता है?

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यह सवाल समाज के भीतर बनी पारंपरिक धारणाओं और लिंग आधारित भूमिकाओं पर आधारित है। आमतौर पर, महिलाओं से अपेक्षा की जाती है कि वे परिवार की देखभाल करें, बच्चों की परवरिश करें और घर के अन्य कार्यों को संभालें। इसके कारण, जब वे अपने करियर में सफल होना चाहती हैं, तो उन्हें परिवार की जिम्मेदारियों और करियर के बीच समझौता करना पड़ता है।

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करियर और परिवार के बीच समझौता सिर्फ महिलाओं को ही क्यों करना पड़ता है?

1. पारंपरिक लिंग भूमिकाएँ

भारतीय समाज सहित कई अन्य समाजों में पारंपरिक रूप से महिलाओं को मुख्य रूप से घर की देखभाल करने और बच्चों की परवरिश करने की जिम्मेदारी दी जाती रही है। इस भूमिका में परिवार और घर की प्राथमिकता होती है। जबकि पुरुषों को बाहर काम करने और परिवार का आर्थिक भार उठाने का कर्तव्य सौंपा गया है। महिलाओं को घर और काम के बीच संतुलन बनाने की चुनौती का सामना करना पड़ता है, क्योंकि समाज ने उनके लिए यह भूमिका निर्धारित कर दी है।

2. आर्थिक दबाव और परिवार की जिम्मेदारियां

महिलाओं को आमतौर पर यह उम्मीद की जाती है कि वे अपने परिवार की देखभाल करेंगी, बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य का ख्याल रखेंगी और घर की शांति बनाए रखेंगी। जबकि पुरुषों से ऐसी अपेक्षाएं नहीं की जातीं। महिलाओं के लिए यह एक बड़ा संघर्ष बन जाता है, क्योंकि उन्हें अपनी नौकरी और करियर की सफलता के साथ परिवार के अन्य जिम्मेदारियों को भी निभाना होता है।

3. सामाजिक अपेक्षाएँ और महिलाओं की दोहरी जिम्मेदारी

अक्सर महिलाएं खुद को इस दुविधा में पाती हैं कि यदि वे अपने करियर को प्राथमिकता देती हैं तो वे “बुरी माँ” या “खराब पत्नी” के रूप में देखी जाती हैं। समाज में यह धारणा है कि महिलाओं के लिए परिवार सबसे पहले होना चाहिए और यदि वे अपने करियर को महत्व देती हैं तो वे अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों को ठीक से नहीं निभा रही हैं। यही कारण है कि महिलाओं को करियर और परिवार के बीच संतुलन बनाने के लिए समझौते करने पड़ते हैं।

4. कार्यस्थल की चुनौतियाँ

कामकाजी महिलाओं को अक्सर कार्यस्थल पर भी कई प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। नौकरी के घंटों में लचीलापन और पारिवारिक छुट्टियाँ (जैसे मातृत्व अवकाश) के बावजूद, महिलाएं अक्सर अपने करियर और परिवार के बीच संतुलन बनाने में संघर्ष करती हैं। महिलाओं को कार्यस्थल पर यह भी दिखाना पड़ता है कि वे अपनी नौकरी में पूरी तरह से सक्षम हैं, लेकिन फिर भी उन्हें यह साबित करना होता है कि वे अपने परिवार की जिम्मेदारी को सही तरीके से निभा रही हैं।

5. परिवर्तन की दिशा

समाज में धीरे-धीरे बदलाव आ रहा है। आजकल पुरुष भी घर के कामों में अधिक भाग ले रहे हैं, और महिलाओं को अधिक स्वतंत्रता मिल रही है अपने करियर को आगे बढ़ाने की। कई देशों में पितृत्व अवकाश की व्यवस्था है, जो यह सुनिश्चित करती है कि पुरुष भी बच्चों की देखभाल में सहयोग दें। इसके अलावा, महिलाओं के लिए कई कार्यस्थलों पर लचीलापन और काम से घर तक की दूरी में कमी की कोशिशें की जा रही हैं।

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