👉 “मोदी-पुतिन की दोस्ती से अमेरिका क्यों नाराज़?”
मुख्य बिंदु (Bullet Points):
- भारत-रूस की दशकों पुरानी दोस्ती।
- रक्षा और ऊर्जा क्षेत्र में गहरा सहयोग।
- अमेरिका रूस पर लगाए प्रतिबंधों से नाराज़।
- भारत ने रूस से तेल आयात जारी रखा।
- अमेरिका चाहता है भारत उसकी तरफ झुके।
- भारत अपनी स्वतंत्र विदेश नीति पर अडिग।
📰 मोदी-पुतिन की दोस्ती देख अमेरिका को लगी मिर्ची, भारत की विदेश नीति पर उठे सवाल
मोदी पुतिन दोस्ती, अमेरिका भारत संबंध, रूस भारत रिश्ते, भारत की विदेश नीति, रूस यूक्रेन युद्ध, अमेरिका नाराज़गी
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में हलचल मचा दी है। जहां रूस और भारत ने आपसी रिश्तों को और मज़बूत करने पर ज़ोर दिया, वहीं अमेरिका को यह दोस्ती रास नहीं आई। अमेरिका का मानना है कि भारत को रूस की बजाय पश्चिमी देशों के साथ खड़ा होना चाहिए।
✅ रूस-भारत की ऐतिहासिक दोस्ती
- भारत और रूस (पहले सोवियत संघ) के बीच दशकों पुराने रिश्ते हैं।
- रक्षा क्षेत्र में 60% से अधिक हथियार भारत रूस से खरीदता है।
- ऊर्जा और तेल आयात में भी रूस भारत का बड़ा सहयोगी है।
- अंतरिक्ष, विज्ञान और व्यापार में भी दोनों देशों की साझेदारी मज़बूत है।
✅ अमेरिका क्यों नाराज़ है?
- अमेरिका और पश्चिमी देश रूस पर यूक्रेन युद्ध को लेकर आर्थिक और राजनीतिक प्रतिबंध लगा चुके हैं।
- भारत ने रूस से दूरी बनाने के बजाय तेल खरीद और व्यापार बढ़ाया है।
- अमेरिका चाहता है कि भारत रूस की जगह उसके साथ और मज़बूत साझेदारी करे।
✅ भारत की स्वतंत्र विदेश नीति
भारत हमेशा से गुटनिरपेक्ष और संतुलित विदेश नीति का पालन करता आया है।
- एक ओर भारत अमेरिका, जापान और यूरोप जैसे देशों के साथ क्वाड और व्यापार समझौतों में शामिल है।
- दूसरी ओर रूस के साथ भी वह पुरानी दोस्ती निभा रहा है।
- भारत का कहना है कि उसका प्राथमिक लक्ष्य है राष्ट्रीय हित और रणनीतिक संतुलन।
✅ नतीजा
भारत की यह नीति साफ़ करती है कि वह किसी एक खेमे में पूरी तरह शामिल नहीं होना चाहता। चाहे रूस हो या अमेरिका, भारत अपने हितों और वैश्विक संतुलन के हिसाब से ही आगे बढ़ेगा।