नई दिल्ली, 1 अक्टूबर 2025 — राष्ट्रवादी संगठन RSS की 100वीं वर्षगांठ के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक विशेष समारोह में ₹100 का स्मारक सिक्का और डाक टिकट जारी किया। इस सिक्के पर मुद्रा के एक ओर राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न (National Emblem) और दूसरी ओर भारत माता की छवि अंकित है — यह आज़ाद भारत में पहली बार है कि भारतीय मुद्रा पर भारत माता का प्रतीक दिखाई दिया हो।
विशेषताएँ और डिज़ाइन
2047 का भारत तत्वज्ञान और विज्ञान के साथ सेवा और समरसता से गढ़ा हुआ वैभवशाली भारत होगा। यही संघ की दृष्टि है, यही हम सभी स्वयंसेवकों की साधना है और यही हमारा संकल्प है। pic.twitter.com/JrqcxFJZb9
— Narendra Modi (@narendramodi) October 1, 2025
इस नए ₹100 सिक्के की सबसे विशेष बात है भारत माता का लेओन (सिंह) के ऊपर बैठी मुद्रा में “वरद मुद्रा” के साथ रूपांकन, तथा सामने स्वयसेवकों को उन्हें प्रणाम करते दिखाया गया है। सिक्के के दूसरी ओर राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न मौजूद है। जारी किया गया डाक टिकट RSS स्वयसेवकों को 1963 के गणतंत्र दिवस परेड में हिस्सा लेते दिखाता है — यह संगठन के ऐतिहासिक योगदान का प्रतीकात्मक दृश्य है। इस सिक्के पर RSS का आदर्श वाक्य “Rashtraya Swaha, Idam Rashtraya, Idam Na Mama” अंकित है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की 100 वर्षों की गौरवमयी यात्रा की स्मृति में आज जारी हुए विशेष डाक टिकट और भारत माता की तस्वीर वाले सिक्के समाज और देशसेवा में जुटे स्वयंसवकों की अथक और अनवरत यात्रा का प्रतीक हैं। pic.twitter.com/9pJP7N8rM4
— Narendra Modi (@narendramodi) October 1, 2025
समारोह एवं प्रधानमंत्री का संवाद
समारोह दिल्ली में आयोजित किया गया, जिसमें RSS के अनेक गणमान्य सदस्य, संगठन के पदाधिकारी और अन्य अतिथिगण उपस्थित थे। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस प्रकार की स्मृति मुद्राएँ और डाक टिकट केवल पारंपरिक हों ही नहीं, बल्कि संयुक्त राष्ट्रीय भावना और इतिहास की याद दिलाने वाला माध्यम होती हैं।
ऐतिहासिक और संवैधानिक मायने
आज़ाद भारत में पहली बार यह हुआ है कि भारतीय मुद्रा पर भारत माता की छवि अंकित हो। इस कदम को कई लोगों ने सांस्कृतिक और प्रतीकात्मक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना है। इस स्मारक सिक्के का डिज़ाइन एवं मुद्रांकन आरबीआई एवं मंत्रालय द्वारा अनुमोदित होगा और भविष्य में यह संग्रहणीय वस्तु बन सकती है। डाक टिकट में RSS की 1963 परेड की तस्वीर उस युग की याद दिलाती है, जब संगठन सार्वजनिक रूप से राष्ट्रसेवा की गतिविधियों में बढ़-चढ़ कर शामिल था।

