(Pushpa Chauhan)- सेक्स पर बात करने में झिझक कई कारणों से हो सकती है। समाज में इस विषय को अक्सर टैबू माना जाता है, जिससे लोग खुलकर बात करने में संकोच करते हैं। इन कारणों को समझकर, पहले पुरानी विचार धारा के कारण लड़के और लड़कियों को आपस में बात करने पर बुरा माना जाता था। उनको मना किया जाता था। इसलिए एक झिझक सी बनी रहती थी।
संस्कृतिक मान्यताएँ: कई समाजों में सेक्स को टैबू माना जाता है, जिससे लोग इसे चर्चा में नहीं लाते।
शर्म और संकोच: यह एक संवेदनशील विषय है, जिससे लोग असहज महसूस करते हैं।
गलतफहमी और मिथक: सेक्स से जुड़े मिथक और गलतफहमियाँ खुलकर बात करने में बाधा डालती हैं।
ज्ञान की कमी: जानकारी की कमी से लोग अनिश्चितता महसूस करते हैं और खुलकर नहीं बोल पाते।
भावनात्मक डर: रिश्तों की जटिलताएँ और भावनाएँ साझा करने में संकोच पैदा करती हैं।
परिवार की राय का भय: परिवार या दोस्तों की प्रतिक्रिया का डर लोगों को चर्चा से रोकता है।
अनुभव की कमी: अनुभव न होने पर लोग संकोच करते हैं और खुलकर नहीं बात कर पाते।
सामाजिक दबाव: समाज के मानकों और अपेक्षाओं के कारण लोग डरते हैं कि उनकी बात को गलत समझा जाएगा।
संवेदनशीलता: कुछ लोग मानते हैं कि सेक्स पर बात करना बहुत व्यक्तिगत और संवेदनशील है, जिससे वे कतराते हैं।
अज्ञातता का भय: लोगों को डर होता है कि वे गलत बातें कह सकते हैं या स्थिति को असहज बना सकते हैं।